पथ के साथी

Wednesday, May 13, 2015

ये घर बना रहे



रामेश्वर काम्बोज हिमांशु
ईश बस इतना करें,ये घर बना रहे।
सर झुका हो जिस जगह,वो दर बना रहे।
जिस कोने में कभी की थी आराधना
उस पर तेरी दुआ का असर बना रहे ।
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