पथ के साथी

Tuesday, February 19, 2013

जीवन इक तूफ़ान है ,


रामेश्वर काम्बोज हिमांशु
1
जीवन इक तूफ़ान है ,दु:ख है उड़ती धूल ।
झटको चादर गर्द की , खिल जाएँगे फूल ॥
2
हँसकर कहा गुलाब ने , दु:ख ही सुख का मूल ।
मुस्कानों की सीख है, चुभ-चुभ महकें फूल ॥
3
हँसी ठहाके खो गए, अब सूनी चौपाल ।
कोठरियों में क़ैद हैं,राजबीर किरपाल ।।
4
कूप अँटे , पनघट घटे , गई नीम की छाँव ।
पीपल जिसका पीर था, खोया  अब वह गाँव । ।
5
नदिया सूखी इस बरस, रूठ  गई बरसात ।
रेत उड़ी नभ पर चढ़ी , बादल करें न बात ॥
6
जीवन-तरु को नोचकर, बाकी छोड़ा ठूँठ ।
फूल चुने पत्ते हरे , फिर भी जाते रूठ । ।
7
मन में ठहरा कौन है , मन के द्वार हज़ार ।
तुम प्राणों में आ बसो , बनकर प्राणाधार । ।
8
अपनों ने हम पर किये , सदा पीठ पर वार ।
दोष भला देते किसे, हम थे ज़िम्मेदार । ।
9
जीवन भर देते रहे , तन-मन को सन्ताप ।
इन्हें सगे कहते रहे , कितने भोले आप ! !
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