पथ के साथी

Sunday, March 22, 2020

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1-सुनो ओ साथी
डॉ. सुरंगमा यादव

विपदा आती
धैर्य आजमाती
घबराना नहीं
सुनो ओ साथी
जल्द ही दूर होगी
ये भी परेशानी
खुद भी बचो, औरों को बचाओ
घर से बाहर
कम ही जाओ
मचा रहा कोहराम
कोरोना आततायी
जिसने सभी की
नींद उड़ा
महाशक्तियाँ पस्त
लगा रहीं आरोप-प्रत्यारोप
कहीं पर जारी
सत्ता- संग्राम
शुरू हो गयी कालाबाजारी
प्रकृति की माया
मानव अब तक
समझ न पाया
घूम रहा काल
देश-विदेश
हो रहे बेहाल
हुआ लॉक डाउन
गरीब की मुश्किल
वायरस और भूख
दोनों से लड़ना
पड़ रहा भारी
हे ईश्वर!
करो चमत्कार
मिटे यह हाहाकार!
-0-
2-अनिता ललित
 1-कविता

कविता -केवल शब्दों का हुजूम नहीं है!
ये दिल की धड़कन है,
आत्मा का स्पंदन है!
सम्वेदना का स्वर है,
आराधना का दर है!
ये दिल से निकलकर
दिल तक पहुँचने वाली आवाज़ है!
ये रूह को 
रूह से बाँधने का आग़ाज़ है!
-0-
2. कुछ पल जो मिले, ये नेमत हैं!
अनिता ललित

भाग-दौड़भरी ज़िन्दगी में
सब पाने की जद्दोजहद में,
इंसां अपनों को भूल गया,
अपने क्या! ख़ुद को ही भूल गया,
प्रकृति को याद कहाँ रखता!
उसकी चाहत थी दीवानी,
क़ुदरत से की फिर मनमानी!
बरसों जीने का ख़्वाब लिए
लम्हों की क़ीमत भूल गया!
अब क़ुदरत ने भी ठानी है!
अपनी मर्ज़ी बतलानी है!

इंसां ने भी ये जान लिया -
दुनिया का क्या! वो फ़ानी है!
अपनों से प्रीत निभानी है!
कुछ पल जो मिले -
ये नेमत हैं!
पलकों पर इनको हम रख लें!
अपनों के नेह के साये में
आओ! इन लम्हों में जी लें!
जीवन में गर कुछ पाना है,
तो स्वयं के भीतर जाना है,
अपनों का साथ निभाना है,
अपने आप को पाना है!