पथ के साथी

Wednesday, February 24, 2021

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 1-आज के शब्द

रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’

 

न प्रश्न, न उत्तर

न पाप, न पुण्य

न जीवन, न मृत्यु

हर प्रश्न का उत्तर नहीं होता;

पाप-पुण्य दोनों

बदलते परिभाषाएँ,

इन्हें पकड़कर

हम कहीं न पहुँच पाए

कभी प्रश्न करो या

मुझसे कहो कि

तुमसे कुछ माँगूँ;

मैं माँगूँगा सिर्फ़ तुमको

तुमसे,

मैं माँगूँगा केवल तुम्हारा दुःख

तुमसे,

सुख कब आए, कब जाए 

क्या भरोसा;

तुम्हारे दुःख लेकर मैं

सात समंदर पार जाऊँगा;

ताकि वे तुम्हें न रुलाएँ,

रोज़-रोज़ तुम्हारे पास न आएँ। 

मैं दुःख से बोझिल

तुम्हारा माथा 

चूमना चाहता हूँ,

तुम्हारी पीड़ा को

अपने सीने में

 फ़्न  करना चाहता हूँ;

ताकि जब तुम दूर चली जाओ

इस दुःख के बहाने

तुमको महसूस करूँ,

जी न पाया तुम्हारे लिए

कम से कम तेरे लिए मरूँ,

सौ सौ जन्म धरूँ,

तुमको सीने से नहीं लगा सका

दु:ख को सीने से लगाऊँ,

इस दु:ख में 

चातक-सा तुमको पुकारूँ,

और अन्तिम बूँद की आस में

प्यास से मर जाऊँ,

हो मेरा पुनर्जन्म

तुम्हें पा जाऊँ।

 -0-

2-अर्चना राय

1

प्रतीक्षा में

 बडी उपलब्धि के

सारी ज़िन्दगी.....!

छोटी- छोटी खुशियों ने

दम तो दिया।

2

शिद्दत से, इंतजार में तेरे

वजूद का मेरे. ...

मुझे एहसास

 ही न रहा।

3

पाकर अपनों का

थोड़ा-सा 

स्नेहिल स्पर्श.... 

जी उठा... 

बर्षो से सूखा

पड़ा, ... 

वो बूढ़ा दरख्त! 

4

खुशियों को 

दुगुना कर दे

गमों को आधा

सच्ची दोस्ती ने

 निभाया सदा

अनकहा  वादा। 

 स्वार्थी दुनिया

और बेवफ़ा ख़ून के

रिश्तों के बीच

है खड़ा

वो मबूती से

थामे हाथ .. 

कीच में... 

कमल जैसा खिला

दोस्ती का रिश्ता।

-0-

भेड़ाघाट, जबलपुर