पथ के साथी

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Sunday, September 11, 2016

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1-तेरी छुवन- डॉ योगेन्द्र नाथ शर्मा अरुण

तेरी छुवन
मादक लगती है
अमृत जैसी
तुमने कहा
हम तुम्हारे हैं
खुश हैं हम
आओ तो कभी
मन बुलाता तुम्हे
कभी तो सुनो
प्रतीक्षा करूँ?
बोलो तो कब तक?
जीवन कहाँ?
इंतज़ार है
उनके ही आने का
शायद आएँ
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2-तुम से मिलना-नीति राठौर


तुमसे मिलना,तुमको पाना,
लगता प्रभात का आना है।
जीवन की तपती राहों में,
जैसे छाँव का मिल जाना है।

तूफान है ये विचारों का
आना और चले जाना है।
शीतल -सी मंद बयार है ये
जीवन जिससे महकाना है।

है कौन जन्म का रिश्ता ये,
मैंने जो तुमको पाया है?
ना जाने नियति ने क्योंकर,
हम दोनों को मिलवाया है।

मरुथल की तपती राहों का
संताप हर एक मिटाना है।
प्रेम के सागर-मंथन से प्रिय,
अमृत का रस छलकाना है।

पावन सच्चा प्रेम हमारा,
मैंने तो इतना ये जाना है।
बहते जीवन की धारा में,
ये हाथ थाम बढ जाना है।
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3-शिव डोयले

भोर मे सूरज की लाली
खिलते फूलों को चूमती
अल्हड़ तितली
डाल -डाल पर पक्षियों का कलरव
मंदिर की आरती
यह दुनिया सुबह की तरह
खूबसूरत क्यों नहीं होती
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