1-शशि पाधा
1- लौट आये श्री राम -दोहे
1
जन्म स्थली निज भवन में, आए हैं श्री राम।
मुदित मन जग देखता, मूरत शुभ
अभिराम ।।
2
दिव्य ज्योत झिलमिल जली, राम लला
के धाम।
निशि -तारों ने लिख दिया, कण- कण पर
श्री राम।।
3
स्वागत में मुखरित हुई, सरयू की
जलधार
पावन नगरी राम की , सतरंगी
शृंगार ।।
4
शंखनाद की गूँज में, गुंजित है
इक नाम।
पहने अब हर भक्त ने, राम नाम
परिधान।।
5
उत्सव मिथिला नगर में, सीता का
घर द्वार।
रीझ-रीझ भिजवा दिया, मिष्टान्नों
का भार।।
6
प्रभु मूरत है आँख में, अधरों पे
है नाम।
अक्षर- अक्षर लिख दिया, मन पृष्ठों
पे राम।।
7
आँखों में करुणा भरी, धनुष धरा
है हाथ।
शौर्य औ’ संकल्प का, देखा अद्भुत
साथ।।
8
वचनबद्ध दशरथ हुए, राम गए वनवास।
धरती काँपी रुदन से, बरस गया
आकाश।।
9
राम लखन सीता धरा, वनवासी
का वेश।
प्राणशून्य दशरथ हुए, अँखियाँ
थिर अनिमेष ।।
10
माताओं की आँख से, अविरल
झरता नीर।
कैसी थी दारुण
घड़ी, कौन बँधाए धीर।।
11
पवन पुत्र के हिय बसे, विष्णु
के अवतार।
पापी रावण का किया, लंका में
संहार।।
12
जन रक्षा ही धर्म है, दयावान
श्री राम।
हितकारी
हर कर्म है,जन सेवा
निष्काम।।
13
अभिनन्दन
की शुभ घड़ी, जन जन गाए गीत।
दिशा दिशा
में गूँजता, मंगलमय संगीत।।
14
घर घर मंदिर सा सजा, द्वारे वन्दनवार।
धरती से आकाश तक,लड़ियाँ
पुष्पित हार।।
-0-वर्जिनिया, यूएसए
-
मेरी अँखियों
में राम
मेरे अधरों पे नाम
मेरे रोम- रोम राम समाए
राम लला आज घर लौट आए ।
छवि देखते यूँ युग- युग जी
लिया
घूँट-घूँट राम-नाम रस पी लिया
मेरे ओढ़नी पे राम
भाल बिंदिया में नाम
कोई और न
मोरे मन भाए।
इत-उत मेरे राम ही खड़े हैं
मणि-मोतियों से मन में जड़े हैं
बीन तार
गाए राम
सुर ताल गाए राम
मन झूम -झूम राम गीत गाए।
धूप-दीप से थाल मैं सजाऊँगी
फूल पंखुड़ी के हार बनाऊँगी
जहाँ लिखूँ राम-नाम
वहीं मेरा चार धाम
मोह- माया मुझे अब न लुभाए।
-0-
2- डॉ. सुरंगमा यादव
-राम आए हैं
श्री राम भवन में पधारे
लो जागे भाग्य हमारे
मन मुदित हुए हैं सारे
आनंदघन चहुँ दिसि छाए हैं
राम आए हैं राम आए हैं
सज गई अयोध्या सारी
झूमें- नाचें
नर- नारी
अँखियाँ जाएँ बलिहारी
श्री राम ने दरश दिखाए हैं
राम आए हैं, राम आए हैं
झुक रही सुमन की डाली
चलती है हवा निराली
त्रेता-सी जगी
दिवाली
मन- देहरी
दीप सजाए हैं
राम आए हैं राम आए हैं
सदियों आस लगाई
शुभ बेला तब ये आई
अपलक है दृष्टि लगाई
प्रभु बाल रूप दिखलाए हैं
राम आए हैं राम आए हैं।
-0-
3- गुंजन अग्रवाल
राम रमैया आए हैं
राम रमैया राम रमैया राम रमैया आए हैं ।
अवध सजी है जैसे कोई दुल्हन ने शृंगार किया ।
सरयू की पावन धारा ने श्री हरि का सत्कार किया ।
संग गौरा के करते शंकर ताता थैया आए हैं ।
राम रमैया...............
ढोल नगाड़ों की धुन पर नर नारी नर्तन करते हैं ।
चौखट तोरण बांधके दहली दहली सतिया धरते
हैं ।
बृंदावन से राधा के संग रास रचैया आए हैं ।
राम रमैया.................
मिथिला के पाहुन का मुखड़ा देख धरा इतराई है ।
पवन ने ‘पीली सरसों फूली’ इधर उधर छितराई है ।
मेरी जीवन नैया के हाँ आज खिवैया आए हैं ।
राम रमैया....................
२६०, ग्राउंड
फ्लोर
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