पथ के साथी

Friday, January 18, 2019

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भारत भूमि(माधव मालती छन्द)
 पूनम सैनी 
भोर में फूटी किरन, है कर रही जग में उजाला।
खिल रहा है मन कमल,ये देख अम्बर पथ निराला।

भीगता नभ छोर है, यह भीगती धरती  विमल भी
धार अमृत बह रही,यह भीगता है मन कमल भी

खेत में उपजी फसल,बागों में तितलियाँ झूमती।
देख लो आकाश को,ये इमारतें  सभी चूमती।

पंछियों के नीड़ से,अब उठ रही परवाज देखो।
जिंदगी के सफर का ,अब हो रहा आगाज़ देखो।

जन्म सबका एक है,जीवन न कोई  भी  छीनता।
जब एक सा अंजाम, बोलो है कहा फिर भिन्नता।

दिव्य भारत भूमि का,अब जयगान चारों  ओर है।
ज्ञान के आकाश का ,तू पावन उभरता  छोर है।
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