पथ के साथी

Tuesday, December 18, 2012

भूले-बिसरे शब्द



रामेश्वर काम्बोज हिमांशु
1
सगे ही छोड़कर आए
हमें सुनसान जंगल में ।
पराया था जिन्हें समझा
उन्हीं से प्यार पाया है ।
2
जीवन में कुछ मिल जाते हैं
यूँ ही चलते-चलते  ।
जैसे मिलती धूप सुहानी
सूरज ढलते -ढलते ।
-0-