पथ के साथी

Sunday, May 8, 2016

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माँ
1-अनिता मण्डा
माँ के हैं मौसम कई, गुस्सा ,लाड़, दुलार।
खुद रो देगी डाँट कर, जब आएगा प्यार
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2- सुशीला श्योराण
1
आले-खूँटी-खिड़कियाँ, चक्की-घड़े-किवाड़।
माँ की साँसें जब थमी, रोये बुक्का फाड़ ।।
2
सदा दुआ-सी साथ है, कब बिछड़ी तू मात।
आदत बनके साथ है, तेरी इक-इक बात ।।
-0-
3-अनिता ललित
1
ममता के सागर नयन,दिल में पीर अपार
माँ सा कोई ना मिला, धरती-अम्बर पार।।
-0-
4- डॉ०कविता भट्ट
1
स्वयं काँपती रही ठंड मे गरीब माँ मेरी
जहाँ गीला हुआ बिस्तर वहाँ खुद सोयी
मुझे गर्माहट दी जबकि उसका जीवन था
पूस की रात –सा पथरीला ठण्डा>
-0-
5-विभा रश्मि
1
माँ खुशी - गूँज
भोर से रात्रि तक
प्रतिध्वनित होती
कहीं भीतर
प्रेम से वो सींचती
जिला देती बेटी को ।
-0-
6-दुआ- मंजु मिश्रा
1
माँ हो न हो
उस की दुआ
बंधीं रहती है
ताबीज सी 
बच्चों के साथ 
2
जरा भी
उदास हुआ तो
इक प्यार भरी
थपकी लगा देती है
माँ की याद !!
-0-
7-मीठी सी याद-सुदर्शन रत्नाकर

मीठी सी याद
अब भी भीतर है
कचोटती है
ठंडे हाथों का स्पर्श
होता है मुझे
हवा जब छूती है
मेरे माथे को।
दूर होकर भी माँ
बसी हो मेरी
मन की सतह में
माँ आँचल तुम्हारी
ममता की छांव का
नहीं भूलता
बड़ी याद आती है
जब बिटिया
मुझे माँ बुलाती है
जैसे बुलाती थी मैं।
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8-माँ का आँचल- मंजूषा 'मन'

है सलामत मेरे सर पर,
माँ का आँचल जब तलक।
कैसी भी आएं मुश्किलें,
छू न सकेगी तब तक।

ग़म के साये रोज ही हैं,
आते मेरे सामने।
डर के सारे भाग जाते,
मेरी माँ के सामने।
देखते हैं मुश्किल जो ये
मुझे  सताए कब तलक।
है सलामत मेरे सर पर......

हर कदम पर मेरी माँ ने
हौसला मुझे है दिया।
मुझ पे जो आई मुसीबत
अपने सर पे ले लिया।
है दुआ माँ सँग ही रहे
ज़िंदा रहूँ मैं जब तलक।

है सलामत मेरे सर पर
माँ का आँचल जब तलक।

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