पथ के साथी

Thursday, March 6, 2025

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 डॉ. कनक लता मिश्रा

1-  सरस्वती वंदना

 


माँ सरस्वती,  माँ शारदे,  माँ शारदे, माँ सरस्वती 

तू ज्ञान का वरदान दे, माँ ज्ञानदा माँ भारती

माँ सरस्वती…

धुन तेरी वीणा की बजे, हो हृदय में तेरा ही वास,  

स्वर तेरे गूंजे मेरे स्वर, जीवन बने तुझसे उजास 

करूँ वंदना, करूँ प्रार्थना, अभ्यर्थना करूँ स्तुति 

माँ सरस्वती..

 

मिट जाय सब मन के विकार जो हो श्वास में तेरा निवास

अन्तःकरण हो दीप्तिमान कर ज्ञान ज्योति का प्रकाश 

सब कुछ मेरा तेरी सर्जना गाउ तेरी ही अनुश्रुति 

माँ सरस्वती…. 

 

हो आत्म बोध हो मन प्रबल चैतन्य मन में तेरा वास 

आनंद हो या वेदना,  अवलंब तू तेरी ही आस

दृष्टि तू मेरी दिव्य कर माँ दूर कर सब विकृति 

माँ सरस्वती…

-0-

 

2-  मन का शृंगार

 

कैसे करूँ मन का शृंगार 

क्षण क्षण देखूँ रूप निहार,  

अधीर, अधूरा, आरव है,  

पल प्रतिपल द्वंद्व है इसमें,

स्वयं से जीते,  कभी माने हार,  

कैसे करूँ मन का ..

 

कितनी इच्छाएँ,  कितनी आशाएँ  

कभी हो दृढ़, तो कभी हो विचलित,  

कभी तो लगे सब ही निराधार,  

कैसे करूँ मन का …

 

कभी हो उदास,  कभी हो निराश,  

कभी तो बहे प्रेम रसधार,  

कभी हो लोभ,  कभी हो क्षोभ,  

कभी त्याग की उठे फुहार,  

कौन रूप सजाऊँ इसका,  

हो ना जिसमें कोई विकार,  

कैसे करूँ मन का …

 

मन का अपना ही रंगमंच है,  

धारण करे रूप अपार,  

कभी हर्ष का कोलाहल है,  

कभी विषाद की निर्ममता 

भूमिकाएँ हैं अनेक

अनेक रूप में करूँ विचार,  

कैसे करूँ मन का शृंगार 

कैसे करूँ मन का…

-0-St.Joseph’s College for Women, Civil Lines, Gorakhpur