पथ के साथी

Friday, September 25, 2015

रही है प्रेम की सूरत



डॉ०पूर्णिमा राय ,अमृतसर
 1  
दिलों में प्रणय की कहानी न होती
धरा पर जीवन की रवानी न होती
सुनो गान झरने का मधुरिम सुरीला
बिना जल ये कुदरत सुहानी न होती।
2
पिता के प्यार से बढ़कर नही दौलत जमाने में
सहे विपदा के ये बादल है जीवन को सजाने में
घटा छाये कभी सावन पिता छोड़े नहीं उँगली ,
बना नैया का है माँझी ये सागर पार जाने में।।
3
नहीं ठहरा निगाहों में सदा आँसू ये बहते है
मिले नफरत अगर दिल को ये हरपल गम ही सहते है
बड़ा अनमोल जीवन है गँवाना मत इसे यूँ ही
निराशा में मिले आशा  ये मन संयम में रहते है।।
4
जुबाँ चुप है ये आँखें नम वही हरपल सताती है
बहाकर प्रेम की धारा वही रिश्ते निभाती है
बदल जाती हैं तस्वीरें नहीं दिल ये कभी बदलें
बसी दिल में हो तस्वीरें वही मन को लुभाती है।।
5
किसी से भी नहीं कम है अजी औरत ज़माने में
किया जीवन समर्पित है घरौंदे को बनाने में
दिखाती हुनर है अपना मनोबल के निशाने से
रही है प्रेम की सूरत सदा सीरत दिखाने में।।
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