डॉ.पूर्णिमा राय
बोएँ
शिक्षा -बीज सब ,पाएँगे फल चार।
उज्ज्वल मानवता बने,सपने हों साकार।।
2
साक्षर बनके कर रहे,भारत नाम महान।।
खान गुणों की है बने, ज्ञानी औ विद्वान।।
3
पावन भावों से भरी, ये रेशम की डोर।
भाई के बिन बहन की, कैसे हो नव भोर।।
4
रंग-बिरंगी ही चमक ,फैली चारों ओर।
बहन-प्रेम के सामने,चलता किसका जोर।।
5
सावन की बरसात में, रहना मत अब दूर।
सासों में तुम हो बसे ,तुम्हीं आँख के नूर।।
6
पुरवैया मोहक चले,ओ मेरे मनमीत।
नेह डोर ही बाँधती ,तेरी-मेरी प्रीत।।
7
प्रीत महक से खिल उठे,प्रतिपल
मेरी साँस।
तृप्ति मिले जब
रूह को,रहे न कोई प्यास।।
8
नतमस्तक होकर मिले,मात-पिता का प्यार।
दिल न दुखाना भूल से ,करना सद्व्यवहार।।
9
जो आशा मन में रहे,मिल जाए
मन मीत।
कानों में रस घोलता,कोयल-
सा संगीत।।
10
धीरे-धीरे पग बढ़े, अपनी मंजिल ओर।
मिले नहीं ठहराव से,खुशी भरी नव भोर।।
-0- डॉ.पूर्णिमा राय,
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