पथ के साथी

Friday, March 27, 2020

964-कोरोना का पहरा हुआ है

डॉ.शैलजा सक्सेना

सड़कों का मन ज़रा ऐंठा हुआ है।
बाद अर्से, साथ घर बैठा हुआ है।
        
पाँवों की हड़बड़ी बंद है तालों में,
समय पसरा बिस्तरों में, आँगन में,
तितलियों सी मँडराने लगी पुरानी कथाएँ,
पुष्पगन्धी, बचपनी, बिसरी हवाएँ,
बात दुनिया भर की लेकर उड़ रही है,
बच्चे, बड़ों के संग बैठे दाएँ-बाएँ,
युगों का इतिहास जैसे खुल रहा है।
बाद अर्से, साथ घर बैठा हुआ है॥

मृत्यु के बादल अगर मँडरा रहे हों,
सहनशक्ति कदाचित बढ़ ही जाती,
कौन जाने, कौन-सा क्षण आखिरी हो,
मति भूल दुख-वैर, सब संग त्राण पाती।
बात बच्चों को भी लगती मीठी,  भली सी
क्योंकि पढ़ने को, नहीं कोई कह रहा है।
बंधनों में भले आज, हम सिकुड़े-बैठे
ताप सिगड़ी, घर संग- संग सो रहा है।
बाद अर्से साथ, घर बैठा हुआ है॥

एक नई दृष्टि मिल रही जैसे हमें अब,
देखते हैं, जोड़ते क्या? क्या टूटता था?
इस मिली फुरसत में फिर तौल लें हम
देख लें क्या तोड़ना, क्या जोड़ना है।
थामकर मति-गति, सो़चें तृप्ति से हम,
प्राप्त जो भी रहा, कितना भला है।
आँकड़ों को छोड़. देखें आइने में,
है वही यह आदमी जो मीलों चला है।
एक अनदेखे विषाणु का त्रास जग पर,
इस सदी की प्रगति से जेठा हुआ है।
बाद अर्से, साथ घर बैठा हुआ है॥

परछाइयाँ खत्म होंगी नाराज़गी की,
इबारतें प्यार की जो हम लिखेंगे,
साथ इतने दिन, घर में बंद होंगे
अनकहे डर, क्रोध भी सब कहेंगे।
धैर्य रख, खुले मन जो बात बाँचें,
संबंध फिर से मधुरता को खोज लेंगे।
एक नया आकाश होगा, बाद इसके
फिर नए परवाज़ से पंछी उड़ेंगे।
काल के इस विषम में, ’सम’ ढूँढने को
विद्वान हर एक देश का पैठा हुआ है।
बाद अर्से, साथ घर बैठा हुआ है॥
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परिचय
डॉ.शैलजा सक्सेना

शिक्षा: एम. ए., (हिंदी), एम फिल, पी.एच.डी. ( दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली), मानव संसाधन डिप्लोमा (ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट) (मैक मास्टर यूनिवर्सिटी, हैमिल्टन, कनाडा)

उपलब्धियाँ: 2014 और 2015 न्यूयार्क और न्यू जर्सी के 'अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन' में कनाडा का प्रतिनिधित्व तथा 'कनाडा में हिन्दी साहित्य'; 'कनाडा में नाटक लेखन और प्रस्तुति' पर पत्र प्रस्तुति तथा कविता और कहानी सभा में प्रस्तुति; काउंसलेट ऑफ इंडिया ऑफिस तथा अन्य हिन्दी की साहित्यिक संस्थाओं द्वारा सम्मान, टोरोंटो की संस्था'डांसिग डैमसैल्स' के माध्यम से प्राविंशियल सरकार द्वारा 'वूमैन अचीवर अवार्ड-2018' की प्राप्ति
प्रकाशित कृतियाँ, वर्ष एवं प्रकाशक
पुस्तकें: # क्या तुम को भी ऐसा लगा? (काव्य संग्रह), 2014 हिन्दी राइटर्स गिल्ड, कनाडा से प्रकाशित, 2014 द्वितीय संस्करण, अयन प्रकाशन, भारत
संग्रहों में प्रकाशित रचनायें:'अष्टाक्षर' (1992, काव्य-संग्रह) में आठ कवितायें,'काव्योत्पल' (2009) (कविता-संग्रह) में कविताएँ,'हाशिये उलाँघती औरत: प्रवासी' 2013 कहानी-संग्रह (रमणिका फाउंडेशन, दिल्ली) में कहानी,'इतर' कहानी-संग्रह (2015, नेशनल बुक ट्रस्ट) में कहानी तथा अन्य संग्रहों में कहानियाँ;
वैश्विक रचनाकार: कुछ मूलभूत जिज्ञासाएँ- भाग-2(2017) में 'साक्षात्कार' प्रकाशित
महात्मा गाँधी विश्वविद्यालय, वर्धा और ज्ञानपीठ से प्रकाशित 'विश्व में हिन्दी' पुस्तक में 'कनाडा में हिन्दी' लेख दिल्ली विश्वदिद्यालय की ई-लर्निंग साइट (ILL) पर निर्मल वर्मा के'अंतिम अरण्य' लेख,अनेक पत्रिकाओं तथा वेब पत्रिकाओं में समीक्षाएँ, साहित्यिक निबंध तथा रचनायें प्रकाशित (सारिका,पांचजन्य, शोध दिशा, क्षितिज, अनभै साँचा, गर्भनाल, साहित्यकुंज, रचना समय, दस्तक, अनुभूति-हिन्दी.ओर्ग, अभिव्यक्ति-हिन्दी.ओर्ग आदि)
संपादन-'काव्योत्पल'- 2009 सह-संपादन- हिन्दी साहित्य सभा, साहित्यकुंज.नेट- वेब पत्रिका साहित्यिक परामर्श दाता
प्रकाशनाधीन:'अंत से पहले अनंत गाथा: भीष्म' (खंड काव्य)'थोड़ी देर और तथा अन्य कहानियाँ' (कहानी संग्रह)
नाटक निर्देशन: अंधायुग, रश्मिरथी, मित्रो मरजानी, संत सूरदास-जीवन, संत जनाबाई
अभिनय: अंधायुग में गांधारी, अपनी-अपनी पसंद में माँ, उनकी चिठ्ठियाँ (तुम्हारी अमृता का संक्षिप्त रूप), आई एम स्टिल मी
मेंटल और इमोशनल हैल्थ अवेयरनैस थ्रू आर्ट रेनैंसा (MEHAR) संस्था के साथ नाटक द्वारा डिप्रैशन आदि बीमारियों के बारे में प्रस्तुति
संप्रति: स्वतंत्र लेखन,'हिन्दी राइटर्स गिल्ड' की सह-संस्थापक निदेशिका; हिन्दी साहित्य सभा की आजीवन सदस्या और भूतपूर्व उपाध्यक्षा
निवास: (2288, डेलरिज ड्राइव, ओकविल, कनाडा- एल 6 एम, 3 एल 5) 2288, Dale Ridge Dr. Oakville, Ontario-L6M 3L5
E-mail: shailjasaksena@gmail.com