1-हरकीरत ‘हीर’
1-हिन्दी
1
हिन्दी- हिन्दी सब करें ,दें
अंग्रेजी मान
काम काज हिन्दी करें, होगा तब उत्थान ।।
2
हिन्दी पखवारा ,दिवस , खूब
चलेगा मास
वर्ष भर अंग्रेजी थी ,दो दिन हिन्दी खास ।।
3
हिन्दी का सम्मान हो ,कहता सकल जहान
फिर भी निसदिन झेलती , हिन्दी घर अपमान ।।
4
सूर तुलसी कबीर की, वाणी कहती सार
हिंदी भाषा में रचित , ग्रन्थों की भरमार ।।
5
हिन्दी का इस देश में , कैसे हो सत्कार
ख़ुद के बच्चे पढ़ रहे अंग्रेजी अखबार ।।
-0-
2-प्रेम 1
ना
मैं पानी माँगती , ना माँगूँ कुछ और ।
प्यास इश्क़ की है लगी, दिल का दे दे ठौर ।।
2
इश्क़ रोग छूटे नहीं , लागा कैसे राम ।
देह तपे है आग -सी , मरहम करे न काम ।।
3
हीर इबादत प्रेम की ,पढ़ लो तुम इक बार
बिना प्रेम संसार में , बस न सका घर -बार।।
4
आखर -आखर पढ़ मुझे , मैं हूँ इश्क़ किताब
हरफ़ हरफ़ में आग है , बुझा सके ना आब ।।
5
जात-पाँत जानूँ नहीं, धर्म कोई न धाम
इश्क़ रंग में रँग गई , नाम हीर बदनाम ।।
-0-
2-अनुपमा त्रिपाठी
1-प्रेम
कहाँ बदलता है ..??
बारिश
में भीग भीग
पुरज़ोर भीगता है ,
धूप में तप तप कंचन सा निखरता है !!
ठण्ड में
कँपकँपाता काँपता भी है …
फिर भी
वो एहसास
सशक्त जीवित !!
मौसम की
इन्हीं हदों में
रमता
बसता है प्रेम …
और
निखरता है ,
दिन
प्रतिदिन!!
बदलें
भी मौसम ,
प्रेम
कहाँ बदलता है ??
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2-जाने
ये बूँदों का मुझसे कैसा नाता है ........ !!
जाने ये
बूँदों का मुझसे कैसा नाता है ,
बरसती
हैं और मन हुलसा जातीं हैं !!
उड़ती हुई
धुल को भी
कच्ची
मिट्टी बना जाती हैं !
सोंधी -सी
खुशबू
और ,
चाक मन
गढ़ता है,
माटी के
बर्तन ,
उस माटी
का एक घड़ा ....!!
टप -टप
बूँदों
की अमृत वर्षा एकत्र करता ,
सिक्त
होता रहता है मन ....!!
तृप्त
होता रहता है मन !!
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3-मंजूषा ‘मन’
1– तेजाब पीडि़त लडकी की कहानी
अभी अभी हुई थी मेरी दुनियां रंगीन
अभी अभी तो देखे थे मैंने सपने
अभी ही तो जाना क्या है जीवन
अभी ही तो चाहा थ मैंने उड़ना
अभी ही आया मेरे तन मन पे यौवन
पर
इन सब के साथ आया था एक डर
गली के गुंडों ने की शुरू छेड़छाड
मैंने आवाज उठाई ,जरा भी न घबराई
पर इन गुंडों को ये बात न भाई
और
जब न बिगाड़ पाये ये मेरा कुछ भी
तो उसने रची एक घिनौनी साजिश
उछाल दिया तेजाब मेरी तरफ
जला दिया मेरा तन और मन
फिर भी
अपनी पीडा से उबरकर
मुझमें है हिम्मत लडने की
मैं लड़ूँगी तुम्हें चैन से जीने न दूँगी
मुझे विश्वास है मैं जीतूँगी।
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4-मंजु गुप्ता
1
हिन्दी की
धड़कनों में , बहे व्याकरण
धार।
रस , छंद , अलंकार हैं , कविता के शृंगार।
2
हिन्दी अब
वैश्विक हुई , भारत की
पहचान।
विज्ञापन से बढ़ रही , हिन्द की शक्ति - शान।
3
अहिन्दी भाषी वास्ते , किया इसे आसान।
राजभाषा हेतु गढ़ा , सरल हिन्दी विधान।
4
एकता की भाषा है , है राष्ट्र की जान।
चुनौतियों में चमकती , हिन्दी की पहचान।
5
बसते कबीर - सूर के
, हिन्दी में हैं
प्राण।
जिस पर रीझ के मीरा , नाची गा के श्याम।
-0-