पथ के साथी

Thursday, August 26, 2010

शीतल छाँव



भाई बहन का प्यार संसार की अमूल्य निधि है ।इस निधि का प्रतिदान सम्भव नहीं ।उस अनुभूत प्रेम के लिए शब्द  ढूँढ़े नहीं मिलते । डॉ भावना कुँअर ने अपने भाव इस प्रकार व्यक्त किए
   सुलझा देता 
   उलझनों के तार
    भाई का प्यार।
    -डा भावना  
 इन शब्दों को आगे बढ़ाने का जो  एक छोटा-सा प्रयास किया गया, वह इस प्रकार है-                          
गंगा की धार
है बहनों का प्यार

बही बयार।


पावन  मन

जैसे नील गगन

नहीं है छोर ।


शीतल छाँव

ये जहाँ धरे पाँव
मेरी बहन ।