भाई बहन का प्यार संसार की अमूल्य निधि है ।इस निधि का प्रतिदान सम्भव नहीं ।उस अनुभूत प्रेम के लिए शब्द ढूँढ़े नहीं मिलते । डॉ भावना कुँअर ने अपने भाव इस प्रकार व्यक्त किए
सुलझा देता
उलझनों के तार
भाई का प्यार।
-डा भावना
गंगा की धार
है बहनों का प्यार
बही बयार।
पावन मन
जैसे नील गगन
नहीं है छोर ।
शीतल छाँव
ये जहाँ धरे पाँव