पथ के साथी

Friday, December 15, 2023

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मन

संध्या झा

 


मन भावनाओं का शृंगार चाहता है।

हर क्षण तुम्हें आस-पास चाहता है।

हृदय की व्याकुलता कोई ना समझे।

तुम समझो बस इतना सा व्यवहार चाहता है।

प्रेम के अतिरिक्त जीवन में हैं भी क्या ?

चंचल मन केवल प्रेम का प्रवाह चाहता है।

ह्रदय के साथ जीवन भी अर्पित किया तुम्हें

मन तुमसे भी थोड़ा समर्पण,अधिकार चाहता हैं।

वाद-विवाद यह सब हैं तुच्छ- सी बातें ।

इन सबसे ऊपर उठे , प्रेम तो बस प्रेम का आधार चाहता हैं।

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