1-सुनो लड़कियो!
सुरभि डागर
लड़कियो ! तुम खूब
खुश
रहना
खूब पढ़ना, लिखना,
भर लेना उड़ान
गगन के पार जाने की,
लगा लेना डुवकी सागर तल को
स्पर्श करने की,
भ्रमण
कर आना
दसों दिशाओं में,
चाट-पकौड़ी खाना
हँसी- ठट्ठा खूब लगाना
कर लेना खुशियों को
आलिंगन,
फुदकती
रहना आँगन में
मग्न रहना जीवन की
सुंदर यात्रा में
पर सुनो,
नहीं बेच देना
अपने संस्कार और
संस्कृति को
नहीं लगा देना कुल
को धब्बा, मत झुका देना
अपने पिता की पगड़ी
जो सालों से वेदाग है
दूर रहना उन्माद से
मत छलक जाना
मदिरा के गिलास -सी
बनी रहना लक्ष्मीबाई
बनी रहना जीजाबाई
हवा के झोकों से
मत लडखडा जाना,
करते रहना प्रयास सँभलने का
चलते रहना सही मार्ग
पर
बस तुम बढ़ती रहना।
उच्च शिखर की ओर
उड़ती रहना।
-0-
2-नयन निहारे राह
नयन निहारे राह ललन अब तो आ जाओ
नयनों ने सँजोकर रक्खी बचपन की किलकारी तेरी
बन्द हृदय के बक्से में है रंगभरी पिचकारी तेरी
तुम जीवन आधार ललन अब तो आ जाओ
नयन निहारे राह ललन अब तो आ जाओ।
तुम बिन मॉं का ऑंचल भीगा बहे नयन से धार
पिता अकेले राह देखते छोड़ जगत्-संसार
देखन की है चाह ललन अब तो आ जाओ
नयन निहारे राह ललन अब तो आ जाओ।
खा लेंगे हम रूखी- सूखी पास रहो तुम
सुनो हमारी अपनी भी कुछ बात कहो तुम
मन की सुनो पुकार ललन अब तो आ जाओ
नयन निहारे राह ललन अब तो आ जाओ ।
आ जाओ हम तुम्हें हृदय से भींच रखेंगे
नहीं रहो अब दूर नयन के बीच रखेंगे
कृत्रिमता के इस जीवन से ममता रहे न हार
ललन अब तो आ जाओ
नयन निहारे राह ललन अब तो आ जाओ
आ जाओ अब थके - थके हैं नयन हमारे
तुम बिन हैं अवरुद्ध हो रहे बयन हमारे
मरुथल में तेरे आने से रिमझिम पड़े फुहार
ललन अब तो आ जाओ
नयन निहारे राह ललन अब तो आ जाओ ।
नयन निहारे राह ललन अब तो आ जाओ ।।
-0-