रामेश्वर काम्बोज
‘हिमांशु’
1
तेज़ हवाएँ
घायल हुए डैने
उड़ें किधर जाएँ ?
कोहरा छाया
जीवन-पथ पर
आहत हैं दिशाएँ।
2
कौन अपना?
हर साथी हो गया
इक टूटा सपना,
शब्दों की कीलें
चुभती दिन- रात
बोलो किसे बताएँ।
3
बेरुखी तोड़े
सारे प्यारे सम्बन्ध
जीवन-अनुबन्ध,
जब अपने
चोट दे मुस्कुराएँ
किसे दर्द बताएँ ?
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