पथ के साथी

Wednesday, January 1, 2025

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1-करो स्वागत

सुदर्शन रत्नाकर

 


बीत रहा है धीरे-धीरे

अस्तित्वहीन होता वर्ष

उखडी-उखड़ी -सी साँसें हैं

उदासी है छाई,

कहीं नहीं है हर्ष।

मौसम में नमी है

धूप भी अलसाई है

थके- थके दिन हैं,

रातों में ठंडाई है।

जीवन में उत्साह नहीं

बिछुड़ने की परवाह नहीं।

जा रहा है, तो जाने दो

जाने दो साथ में

सालभर की नकारात्मक

 सोच को

पाँवों में चुभे शूलों को

अपनी की हुई भूलों को।

विरोधियों की आवाज़ को

सड़ी -गली मान्यताओं को

पोंछ दो दर्पण पर पड़ी धूल को

जिसमें दिखाई नहीं देता

अपना ही असली चेहरा।

 

नए वर्ष का अभिनंदन करो

पुराने को भूल जाओ

नव उमंग, नव क्रांति

मिटाकर मन की भ्रांति

करो स्वागत, उगती नव किरणों का

फैला दें जो उजास

नव आशाओं का।

-0-


2-पाहुन/-शशि पाधा

 

द्वारे इक पाहुन है आया

सुख सपनों की डलिया लाया 

 

आशाओं की हीरक मणियाँ 

विश्वासों की झिलमिल लड़ियाँ 

प्रेम-प्यार के बन्दनवार

सजी-सजी हर मन की गलियाँ 

 

मंगल दीप जलें देहरी पर

किरणों ने नवरंग बिखराया

 दूर दिशा से पाहुन  आया 


नया सवेरा, नई ऊषा में

जीवन की उमंग नई

समय की धारा के संग बहती

जीवन की तरंग नई


राग रंग से रंगी दिशाएँ

इन्द्र धनु से थाल सजाया

  नव वर्ष द्वारे है आया 

          

धरती ,सागर, नदिया पर्वत

स्वागत’ ’स्वागत’ बोल रहे

आगत के कानों में पंछी

नव कलरव रस घोल रहे

  रोम-रोम बगिया का पुलकित

   सृष्टि ने नवगीत है गाया

  नव पाहुन द्वारे पर आया।

-0-

3-नववर्ष!

डॉ.सुरंगमा यादव

इक्कीसवीं सदी अबचौबीस बरस की हो ली

पच्चीसवें    वसंतीसपनों ने   आँखें खोलीं

खोने की है कसक  तोपाने का सुकूँ भी है

छूने को आसमाँ हैमन में  जुनून भी है

नववर्ष तू  दिलों मेंसंकल्प ऐसा भरना

मुट्ठी में कर लें सागर,मन में गुमान हो ना।