पथ के साथी

Saturday, September 5, 2020

1027-शिक्षक -दिवस पर विशेष

 

ज्योत्स्ना प्रदीप 

1


जब घोर-अँधेरा है

गुरुवर साथ रहे 

फिर भोर-सवेरा है 

 2

तपकर संतोषी हैं   

जो  उनको दुख दे 

वो घातक  दोषी हैं !

3

तन तो बस माटी है ।

ज्ञान -बीज  भरते 

हरियाली बाँटी  है ।

4

जीवन घन-काला हैं ।

दिनकर मन कर दे 

गुरु ज्ञान -उजाला हैं ।

5

गुरुवर को हम पूजें ।

गुरु का  मान  करो

छोड़ो  झगड़े दूजे ।

6

जीवन में  तम छा

दिनकर -गुरुवर से 

किरणें हम तक आएँ

7

बाकी सब कुछ भूलें ।

पाँवो के संग-संग 

मन उनका हम छू लें !

8

पथ उनके ही चलना ।

मान करो मन से 

उनको न कभी छलना ।

9

वो वतन सदा ऊँचा ।

गुरुवर  मान करें 

महके फिर हर कूँचा !

10

बस पतन वहीं होता ।

गुरुवर को दुख दे 

वो हरपल ही रोता !