1-बस यूँ ही
शशि पाधा
जहाँ बर्तन
बात न करें
जहाँ चीज़ें
तरतीब न भूलें
और तस्वीरें
टेढ़ी न लटकें
जहाँ फलों की खुशबू
सॉंसों में न समाए
और पौधों को धूप
छू न पाए
जहाँ मुस्कान
उधारी में आए
और नेह
गिरवी हो जाए
उसे घर कहें
या ???????????
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2- पथ प्रदर्शक!
डॉ. पूर्वा शर्मा
अरे ओ मार्गदर्शक,
पथ प्रदर्शक!
सदा दूसरों को
राह दिखाने वाला,
हौंसला देने वाला,
क्या हुआ है तुझे?
यूँ आहत न हो तू
हिम्मत न हार तू,
क्या हुआ यदि
मुखौटों उतरने लगे
कुछ मतलबियों के,
किसी के द्वार
बंद कर देने से
सूर्य चमकना
नहीं छोड़ देता,
अरे उन्मुक्त गगन में
विचरण करने वाले
यूँ घसीटकर
नहीं चल सकती
तेरी ये ज़िंदगी
तू दौड़ ख़ुशी से
पकड़ ले फिर
ज़िन्दगी की रफ़्तार,
वैसे भी धुल जाते हैं
कुछ रंग बारिश से,
तो कुछ नए रंग
दे भी जाती है ये बारिश
दूसरी ओर देख तू
अब साफ़ है सब कुछ
भर दे अपनी तूलिका से
पसंदीदा रंग
इस ज़िंदगी में,
बहुत हसीन है
ये ज़िन्दगी
तू मुस्कुराकर तो देख।
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