पथ के साथी

Tuesday, January 26, 2016

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1-प्रदीप कुमार शर्मा

1-इंतज़ार

सुबह से रात
सरहद पर खड़ा है वो
लिये
औरों की नींदों की सौगात
जबकि धुल गया काजल
उसके इंतज़ार में
दो जागती आँखों का !
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2-राष्ट्र का गुरूर

एक सरहद
देशभक्ति को पार करती हद
जिसमें सर
झुकता नहीं
कटाना मंज़ूर है
एक वीर
राष्ट्र का गुरूर है |

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प्रदीप कुमार शर्मा
जन्म: दिल्ली
शिक्षा: एम. ए( हिन्दी), एम. बी . ए
सम्प्रति: हिंदी अनुवादक ( सूबेदार मेजर ),सी. आर .पी. एफ
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2-ज्योत्स्ना प्रदीप
1
आज़ाद हैं हम ,
अपना संविधान है,
फिर भी कुछ कमी हैं -
जो कर गए देश हवाले अपने
उनकी यादें.. दिल में
बर्फ सी जमीं हैं ,
आओ !उन यादों को
कुछ इस तरह पिघलाएँ
कि अँधेरे भी..
रौशनी के गीत गाएँ
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