1-प्रदीप कुमार शर्मा
1-इंतज़ार
सुबह से रात
सरहद पर खड़ा है वो
लिये
औरों की नींदों की सौगात
जबकि धुल गया
काजल
उसके इंतज़ार में
दो जागती
आँखों का !
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2-राष्ट्र
का गुरूर
एक सरहद
देशभक्ति को पार करती हद
जिसमें सर
झुकता नहीं
कटाना मंज़ूर है
एक वीर
राष्ट्र का गुरूर है |
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प्रदीप कुमार शर्मा
जन्म:
दिल्ली
शिक्षा:
एम. ए( हिन्दी),
एम. बी . ए
सम्प्रति: हिंदी अनुवादक ( सूबेदार मेजर ),सी. आर .पी. एफ
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2-ज्योत्स्ना प्रदीप
1
आज़ाद हैं हम ,
अपना संविधान है,
फिर भी कुछ कमी हैं -
जो कर गए देश हवाले अपने
उनकी यादें.. दिल में
बर्फ सी जमीं हैं ,
आओ !उन यादों को
कुछ इस तरह
पिघलाएँ
कि अँधेरे भी..
रौशनी के गीत गाएँ ।
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