गाँव से ....
भीकम सिंह
नीम के साये में
सुस्ता रहा
ईख की निराई करके
एक बूढ़ा किसान
खेत के किनारे
उतरती संध्या को
टकटकी बाँधे देख रहा
होते हुए
रात।
एक नगर
खेत में घुसता हुआ
बूढ़ा देखता है
खेत को बिकता हुआ
ईख के पौधों की
जब सिसकियाँ
कानों में लगी टकराने
लगा बड़ा आघात।
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