पथ के साथी

Wednesday, May 11, 2022

1207-गुलमोहर

अंजू खरबंदा

एक दिन 


तुम्हारी प्रतीक्षा करते हुए

इकट्ठे कर लिये मैंने

ढेर सारे गुलमोहर,

तुम आई तो मुस्कुराते हुए 

उछाल दिए तुम्हारी ओर

अचानक

फूलों का सुर्ख रंग

तुम्हारे चेहरे पर उतर आया! 

एक दिन

मेरा इंतजार करते हुए

तुमने चुन लिए ढेर सारे गुलमोहर

मेरे आने पर

मेरी ओर उछाले और खिलखिला कर हँस दी

यूँ लगा मानो

सारी सृष्टि खिलखिला उठी हो! 

कल रात


यादों की डायरी खोली

उसमें रखे 

गुलमोहर से मुलाक़ात हुई

फिर सारी रात

सिर्फ अँखियों में कटी!

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