पथ के साथी

Saturday, February 22, 2025

1450-दो कविताएँ

 

अनुपमा त्रिपाठी 'सुकृति'

1


भोर का बस इतना

पता ठिकाना है
कि भोर होते ही
चिड़ियों को दाना चुगने
पंखों में भर आसमान
अपनी अपनी उड़ान
उड़ते जाना है...!!!
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2

आकंठ आमोद संग

प्रमुदित प्रभास का

सुगन्धित स्पर्श...

मृदुमय शांत वातावरण में अमृत घोलता...

चहचहाते पक्षियों का कलरव...

स्वयं से स्वयं तक की यात्रा का

प्रथम पड़ाव...

प्रात इस तरह हो

तो जीवन की गाथा लिखना

हृदयानंदित करता है...!!!

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