ज्योत्स्ना प्रदीप
1-सीलन
छतें भी वो ही
अश्रु बहाती हैं
जहाँ रहनेवालों की
आँखों में
किरकिरी हो
गरीबी की ।
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2-दस्तक
बड़ा अजीब
यह शहर लगता है
यहाँ तो लोगों को
दरवाजों की दस्तकों से भी
डर लगता है !
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3-वार
जब कोई
ज़रूरत से ज्यादा
सर नीचा करके
व्यवहार करता है,
याद रखना
साँप झुककर ही
वार करता है ।
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4-घायल
वो पत्ता
सूखा ,टूट गया
घायल है ज़मीं पर
सँभलकर चलना
चीखेगा बहुत
पाँव रखा जो......
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5-भेदभाव
ये आँसू भी
भेदभाव करें
अपनों के लिए अतिवृष्टि
गैरों के लिए आँखों
को
सूखा गाँव करें!!
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6-स्पर्श
रात्रि के हल्के स्पर्श से
झुकाके माथ
पौधा सो गया
मानो कोई अनाथ !
सपने में लिये
माँ का हाथ ।
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