पथ के साथी

Friday, October 18, 2024

1437-रतन टाटा : संस्कृति से साक्षात्कार

 

विजय जोशीपूर्व ग्रुप महाप्रबंधकभेल

  जीवन में आगमन से पूर्व एवं पश्चात् दो आयाम ऐसे हैं, जो आदमी के जीवन की दशा और दिशा दोनों निर्धारित करते


हैं। इनमें से पहला है- विरासत जिसे आप संस्कार या मूल्यों की थाती कह सकते हैं तथा दूसरा है- आपकी मानसिकता, जो आपके आचरण का आधार है। पहला ईश्वर प्रदत्त है, जबकि दूसरा आपके अपने हाथ में है और इसका आपकी पदप्रतिष्ठापैसे से कोई लेना देना नहीं। यह आवरण के अंदर अंतस् की खोज का सफ़रनामा है। इसके साकार स्वरूप को स्वीकार कर संस्था हितार्थ उपयोग का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण प्रस्तुत होता है टाटा समूह के सोच में जो इस प्रकार है :

·        26/11 को ताज होटल में घटित आतंकी हमले के दौरान कर्मचारियों ने कर्तव्य का जो उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया, उसकी सराहना हार्वर्ड विश्वविद्यालय तक में एक केस स्टडी रूप में समाहित की गई यह जानने के लिए कि क्यों टाटा कर्मचारियों ने डरकर भाग जाने के बजाय कार्यस्थल पर ही रहकर अतिथियों की रक्षा करने के लिए अपनी जान तक की बाजी लगा दी। उन्हें सुरक्षित बाहर निकालने के जोखिम भरे काम को बखूबी अंजाम दिया। यह वह पहेली थी, जिसे मनोवैज्ञानिक तक समझ पाने में असफल थे। अंतत: जो निष्कर्ष निकले, वे इस प्रकार थे।

1-  ताज समूह ने बड़े शहरों से अपने कर्मचारी चुनने के बजाय उन छोटे- छोटे शहरों पर ध्यान केन्द्रित किया, जहाँ पर पारंपरिक संस्कृति आज भी दृढ़तापूर्वक सहेजी गई है।

 2-  टाटा ने चुनने की प्रक्रिया में केवल टापर्स को वरीयता न प्रदान करते हुए, उनके शिक्षकों से यह जानना चाहा कि उनके छात्रों में से कौन- कौन अपने अभिभावकोंवरिष्ठजनशिक्षकों तथा अन्य के साथ आदरपूर्ण व्यवहार करते हैं।


3-
 भर्ती के पश्चात् उन्होंने नवागत नौजवान कर्मचारियों को यह पाठ पढ़ाया कि कंपनी के मात्र कर्मचारी बनाने के बजाय वे कंपनी के सामने अपने अतिथियों के सांकृतिक राजदूतशुभचिंतक तथा हितचिंतक बनाकर पेश हों।

 4- यही कारण था कि 26/11 आतंकवादी हमले के दौरान जब तक समस्त अतिथियों को सावधानीपूर्वक बाहर नहीं निकाल लिया गयाएक भी कर्मचारी ने उस कठिनतम परिस्थिति में जान बचाने के लिये बाहर निकालने या भाग जाने की कोशिश नहीं की। इस तरह मूल्यपरक प्रशिक्षण का ही प्रभाव यह रहा कि टाटा- समूह आज सारे संसार के सामने एक मिसाल बनाकर खड़ा है, जहां होटलिंग एक प्रोफेशन या व्यवसाय न होकर एक मिशन अर्थात् विचार के पर्याय की भाँति स्थापित है। यह सोच पूरे संसार के सामने पर्यटन उद्योग के लिए सीखकर अनुपालन के लिए अब तक का सबसे बड़ा उदाहरण है।   

 भलाई कर भला होगा बुराई कर बुरा होगा

कोई देखे न देखे पर ख़ुदा तो देखता होगा 

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