डॉ ज्योत्स्ना शर्मा
1
दिल को लगती कह गया , बातें बीता साल ,
सीख समय से पाठ कुछ ,बनना एक मिसाल ।
बनना एक मिसाल , सृजन की हो तैयारी ,
करें अमंगल दूर , रहें अरिदल पर भारी ।
सरस ,सुगन्धित वात ,मुदित हो सारी जगती ,
मन से मन की बात ,करें शुभ दिल को लगती ।।
2
खूब रुपैया बोलता ,दिशि दिशि गूँजे शोर ।
नीति नज़र झुकाय सखी ,बैठ गई इक ओर ।
बैठ गई इक ओर ,विचारे अब कित जाऊँ ,
कौन आसरा ,मान ,जहाँ मैं नित-नित पाऊँ ।
लेंगें हाथों-हाथ ,गुणों को किस दिन भैया ,
मिले न सुख का साथ ,भले हो खूब रुपैया ।।
3
चन्दन वन-सा मन रहा ,महके था दिन रैन,
तृष्णा की विष- वल्लरी ,कब लेने दें चैन ।
कब लेने दें चैन ,लगें फल आह व्यथा के ,
रहें न कुछ लवलेश ,सुवासित सरस कथा के ।
करिए कृपा कृपालु ,प्रभासित कर कंचन- सा ,
हो अति मधुर उदार ,चारु चित चन्दन वन-सा ।।
-0-
२७-०१-१३
दिल को लगती कह गया , बातें बीता साल ,
सीख समय से पाठ कुछ ,बनना एक मिसाल ।
बनना एक मिसाल , सृजन की हो तैयारी ,
करें अमंगल दूर , रहें अरिदल पर भारी ।
सरस ,सुगन्धित वात ,मुदित हो सारी जगती ,
मन से मन की बात ,करें शुभ दिल को लगती ।।
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खूब रुपैया बोलता ,दिशि दिशि गूँजे शोर ।
नीति नज़र झुकाय सखी ,बैठ गई इक ओर ।
बैठ गई इक ओर ,विचारे अब कित जाऊँ ,
कौन आसरा ,मान ,जहाँ मैं नित-नित पाऊँ ।
लेंगें हाथों-हाथ ,गुणों को किस दिन भैया ,
मिले न सुख का साथ ,भले हो खूब रुपैया ।।
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चन्दन वन-सा मन रहा ,महके था दिन रैन,
तृष्णा की विष- वल्लरी ,कब लेने दें चैन ।
कब लेने दें चैन ,लगें फल आह व्यथा के ,
रहें न कुछ लवलेश ,सुवासित सरस कथा के ।
करिए कृपा कृपालु ,प्रभासित कर कंचन- सा ,
हो अति मधुर उदार ,चारु चित चन्दन वन-सा ।।
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२७-०१-१३