1-एकता चौधरी
1-सुबह
काली- सी हर रात के बाद
ज़रूर
ख़ूबसूरत सुबह होती है!
खुशियँ सस्ती हमेशा थी
और नज़दीक भी
वही आज
करीब,
फिर हो रही हैं
इतवार है
कि बारिश भी सोती- सी
कहीं गुम- सी
चुपके से
आहट न किए ही
आ गई है,
अलार्म कब का
बाँग देते
गूँगा हुआ,
और आँख यूँही हल्के- से
ही खुल गई है,
ओह
आज इतना सुंदर है
सब
ये सुबह कितनी मुलायम
और गुलाबी- सी
चाय पकौड़े
कहीं और नहीं
घर की बालकनी
में एक ओपन- सा
रेस्टोरेंट
आज है
कहाँ अब
कोई
पार्टी करने कहीं और जाता है
कुछ माहौल यों
कि
सारा घर हमारा
साथ ही
सेलिब्रेट
हर खुशी करता है
कितनी
एडवांस हो गई थी
आज फिर
पीछे जाती सी है
जिंदगी,
क्या बड़ी
क्या छोटी
बस,
खुशियां सस्ती हमेशा थी
और नज़दीक भी
वही आज
करीब,
फिर हो रही है
चखा जा रहा है
हर पल का
अलग
नशा
और
अहसास हो रहा है
शनै शनै.
काली -सी रात
के बाद
खूबसूरत सुबह
जरूर होती है.
मुलायम और
गुलाबी सी.!
-0-
2-सरहद-एकता चौधरी
दो तीन रोज़ से
आज खबर मिली
सरहद पर गोली चल गई
शाम ढले.....
क्या हुआ
कुछ बुरा हो तो,
कौन था
वो.....
आजकल तो,
सरहद
सुनसान हैं,
सन्नाटे बस
सुनती हैं,
उम्मीद
किसी के घर
वापस आने की
आज बूढ़ी
हो चली है,
शायद
कभी भी
ये ज़मीं छोड़
ज़मीं में
दफ्न हो जाने वाली है....
दीवार-
बैसाखी,
छत का छाता,
अल्हड़ पगडंडी,
वो चर्च वाली गली
अकेले होने वाले हैं
सदा के लिए,
ना देखने के लिए
बाट
कभी
किसी की.....
कोई युग
बदलेगा
शायद
सन्नाटों को भरने
के लिए,
कई जमाने
सुधारने होंगे
सरहद की
हद
फिर से
थाम लेने के लिए....
और
सोचके देखो
बंजर सरहद में
क्या कुछ बचा है...
जो रोएगा
कुछ खोने से,
कुछ बुरा और
हो जाने से,
बस तीन दिन
आंख
मेरी फड़की,
और
सरहद की गोली
आज
शाम
दिल से पार निकल गई.....!!!
-0-
परिचय
एकता चौधरी
शैक्षिक
योग्यता: बी. ई. ( इलेक्ट्रॉनिक्स एवं कम्यूनिकेशन )
कार्यक्षेत्र: रक्षा मंत्रालय उद्यम- भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड,
(गाजियाबाद इकाई) में उप प्रबंधक
मूल निवास: सुजानगढ़, राजस्थान
ई-मेल:
choudhary.ekta@gmail.com
-0-
2-मैं
शिलाखंड तू शक्ति मेरी
रजत नागपाल
मैं शव हूँ बिन आदि शक्ति,
तू ही
है जीवन सार मेरी।
मैं
पत्थर हूं इस माटी का,
तू ही
साँसों की धार
मेरी।।
जो प्राणों
में बसता वीर रस,
उसका
भी मंगल कारण तू।
जो मुझमें
हावी हो तमोगुण,
उसका भी शुभ निवारण तू।।
मैं
शिलाखंड तू शक्ति मेरी,
तुझसे
हो पूरी भक्ति मेरी।
-0-
पता-
मकान संख्या 2/1,
वार्ड संख्या 17, कैंप, यमुना
नगर-135001 हरियाणा।
संपर्क
सूत्र - 9017183334
-0-
3-ललित छंद / सार (16+12=28 मात्राएँ, अन्त में
दो गुरु मात्राएँ होना ज़रूरी )
विपन कुमार
नयनों से उम्मीदें बहती, बहता खारा पानी।
शब्द मौन हैं सोच रहे हैं, कैसे कहें कहानी।
पेट काटकर पाला जिसने, जिसने लाड लडाया।
सबको बाँटी खुशियाँ जिसने,उसने ही दुख पाया।
रिश्तों की वो डोर रही ना, न विश्वास का धागा।
मोती बिखरे टूट गया वो , जिसने सबको बाँधा।
दुख हो चाहे सुख की बेला,कोई नजर न आए।
नफरत की है आग लगी जो,कोई आन बुझाए।
दर्पण कहे हकीकत अब ना, आँखें सच ना बोलें।
श्रुतिपुट सबकुछ सुनकर बहरे, अधर भी मुख न खोलें।
हर मुख
पर अब नया मुखौटा,कुछ भी समझ न आए।
समय खेलता खेल अनोखा,सत्य झूठ हो जाए।