पथ के साथी

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Wednesday, July 23, 2008

फूल कनेर के


फूल कनेर के

रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'

किसने रोके पाँव अचानक
धीरे-धीरे  टेर  के ।
उजले पीले भर आए-
 आँगन में फूल कनेर के । ।

दिन भर गुमसुम सोई माधवी
तनिक  नहीं  आभास रहा ;
घिरा अँधेरा खूब नहाई
सुगन्ध- सरोवर पास रहा  

पलक बिछाए बिछे धरा पर
प्यारे  फूल कनेर के ।

यह मन बौराया  चैन न पाए
व्याकुल झुकती डाल सा ;
पीपल के पत्ते-सा थिरकता
हिलता किसी रूमाल-सा ।

चोर पुजारी तोड़ भोर में ,
ले गया फूल कनेर के