जग बदले तो बात बने
हम बदलें तो बात बने
क्या होगा
तारीखों के बदलाव से
मन बदलें तो बात बने
ये बेसब्री ये उतावलापन
नए साल का ये पागलपन
वो आधी रात तक जगना
वो जाम का छलकना
संदेशों का आदान-प्रदान
जश्न में डूबा ज़हान
हर साल एक और
ईंट जिन्दगी की ढह जाती है
आती- जाती ,घटती हुई
हर साँस ये कह जाती है
जिन्दगी कहाँ सँभली है
सिर्फ़ तारीख ही तो बदली है
जज़्बात बदले तो बात बने
हालात बदले तो बात बने
दिन महीने साल नहीं
काली रात बदले तो बात बने ।