पथ के साथी

Saturday, February 27, 2021

1056

 1-कमला निखुर्पा

1

बहुत दिनों के बाद

 जी भर के कल रात ,

 मैने  की है  चाँद से कुछ बात

-0-

2-मुकेश बेनिवाल

1

ज़िन्दगी की किताब में

हर रंग के काग़ज़ हैं

परेशानियों के पन्नों को

पतंग बनाकर उड़ा दो

ग़मों के पन्नों की

कश्ती बनाकर बहा दो

चुनकर बेहतरीन पन्ने

ज़िन्दगी को रंगों से सजा लो

2

 बदलता हुआ ये वक़्त

बहुत कुछ कह गया

मतलब की बाढ़ में

हर किरदार बह गया

ख़ुशी में ख़ुश होता है

और दुःख में दुःखी 

सिर्फ़ आईना ही है

जो वफ़ादार रह गया

-0-

Wednesday, February 24, 2021

1055

 1-आज के शब्द

रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’

 

न प्रश्न, न उत्तर

न पाप, न पुण्य

न जीवन, न मृत्यु

हर प्रश्न का उत्तर नहीं होता;

पाप-पुण्य दोनों

बदलते परिभाषाएँ,

इन्हें पकड़कर

हम कहीं न पहुँच पाए

कभी प्रश्न करो या

मुझसे कहो कि

तुमसे कुछ माँगूँ;

मैं माँगूँगा सिर्फ़ तुमको

तुमसे,

मैं माँगूँगा केवल तुम्हारा दुःख

तुमसे,

सुख कब आए, कब जाए 

क्या भरोसा;

तुम्हारे दुःख लेकर मैं

सात समंदर पार जाऊँगा;

ताकि वे तुम्हें न रुलाएँ,

रोज़-रोज़ तुम्हारे पास न आएँ। 

मैं दुःख से बोझिल

तुम्हारा माथा 

चूमना चाहता हूँ,

तुम्हारी पीड़ा को

अपने सीने में

 फ़्न  करना चाहता हूँ;

ताकि जब तुम दूर चली जाओ

इस दुःख के बहाने

तुमको महसूस करूँ,

जी न पाया तुम्हारे लिए

कम से कम तेरे लिए मरूँ,

सौ सौ जन्म धरूँ,

तुमको सीने से नहीं लगा सका

दु:ख को सीने से लगाऊँ,

इस दु:ख में 

चातक-सा तुमको पुकारूँ,

और अन्तिम बूँद की आस में

प्यास से मर जाऊँ,

हो मेरा पुनर्जन्म

तुम्हें पा जाऊँ।

 -0-

2-अर्चना राय

1

प्रतीक्षा में

 बडी उपलब्धि के

सारी ज़िन्दगी.....!

छोटी- छोटी खुशियों ने

दम तो दिया।

2

शिद्दत से, इंतजार में तेरे

वजूद का मेरे. ...

मुझे एहसास

 ही न रहा।

3

पाकर अपनों का

थोड़ा-सा 

स्नेहिल स्पर्श.... 

जी उठा... 

बर्षो से सूखा

पड़ा, ... 

वो बूढ़ा दरख्त! 

4

खुशियों को 

दुगुना कर दे

गमों को आधा

सच्ची दोस्ती ने

 निभाया सदा

अनकहा  वादा। 

 स्वार्थी दुनिया

और बेवफ़ा ख़ून के

रिश्तों के बीच

है खड़ा

वो मबूती से

थामे हाथ .. 

कीच में... 

कमल जैसा खिला

दोस्ती का रिश्ता।

-0-

भेड़ाघाट, जबलपुर

Sunday, February 21, 2021

1054-क्षणिकाएँ

 

कृष्णा वर्मा

1

कैसा आत्मीय रिश्ता है

उदासियों का स्मृतियों से

तेरा ख़्याल आते ही

झट से पसर जाती हैं

आँखों के सहन में। 

2

बड़ी ग़ज़ब होती है

यादों की तासीर

भीग-भीग जाते हैं हम

भरी सरदी में।

3

दिल की गलियों में

गश्त लगाते है

जब तेरे ख़्याल

जलने लगते हैं

यादों की मुँडेरों पर

उल्फ़त के चिराग़।

निगोड़े ख़्वाबों को

क्यूँ पसंद होती है सिर्फ़

अल्हड़ उम्र की नींद

काश!

उनकी फ़ितरत में होता

उथली नींद में भी तैरना।

5

जीवन नाव पे

हुए हैं सवार 

तो कैसा ग़म

उसकी रज़ा 

जिस किनारे 

चाहेगा उतारना

उतर जाएँगे 

चुपचाप हम। 

6

चहरे की शिकन पर

वक़्त की तहरीरें

बयान करती हैं

तजुर्बों की पायदारी।

7

पुख़्ता होते हैं

नीतिवान

कभी ख़ुद को नहीं करते

हवाओं के सुपुर्द।

8

ख़ुद कहाँ मरता है

इंसान

लोगों के अल्फ़ाज़ और रवैये

जीने नहीं देते उसे।

9

ज़िंदगी के सफ़र में

शर्तें और ज़िदें 

सिकोड़ देती हैं

ख़ुशियों का आसमान।

10

सुलग गईं तो

मोड़के रख देंगी रुख़

कौन मना पाया फिर

सिरफिरी हवाओं को। 

11

सब्ज़ पत्तों पे

नुक़्ता ए ज़र्द

देने लगी है आहट

मौसम के बदलते

मिजाज़ की।

12

बीते रिश्तों के

मिठास की तासीर

जीवित रखती है

आस मिलन की।

13

कैसा ये कहर बरपा

अपनों से जुदा होके

जिए जा रहे हैं लोग

किश्तों में मर-मरके।

14

कह दो कोई जाके

मौसम की ख़ुशगवारी से

न गाएं हवाएं

मुहब्बत के तराने

कैद है आज ज़िंदगी

गुनाहों की ज़द में।

15

चाह कर भी समंदर

छीन नहीं पाता

लहरों का हक

डोलती हैं प्यार से

पकड़कर

हवाओं का हाथ

पूरब कभी पश्चिम के

तट पर।

16

दोस्तों के दिल में

मिली पनाह

किसी जन्नत से

कम नहीं होती।

17

शक हो या मुहब्बत

किसी भी सूरत में

बेकसूर नींदें ही

होती हैं हराम।

18

लाख डूबें अँधेरे

उजालों में

चाहकर भी

बदल नहीं पाते हैं

फ़ितरत का रंग।

-0-