पथ के साथी

Sunday, August 2, 2015

निश्छल प्रेम-सौगात



 ( मैत्री दिवस पर विशेष)
-अनिता ललित 

गूगल से साभार
दोस्ती के विस्तृत नभ में
आओ चमकें हम 
मिल कर साथ !
दूर करें अँधेरा 
एक-दूजे के जीवन का !
आओ चलें हम साथ !
बाँटे खुशियाँ 
कर लें दुगुनी
ग़म बाँट कर
कर लें आधा!
मुश्किलों का करें सामना
आओ! थाम कर हाथ!

तेरी आँख के आँसू
अपनी आँखों में 
भर लूँ मैं,
अपनी मुस्कानें 
भी दूँ वार 
तेरी एक हँसी के बदले! 
काँटों भरे इस जीवन में-
आओ! मिल-बाँटें हम 
निश्छल प्रेम-सौगात।

ग़म के बादल 
गहरे-काले
मुश्किल सारी राहें हों जब -
भरके मुट्ठी में
इन्द्रधनुष मुस्कानों के उजाले, 
बिखरा दें ! 
और दें हर तम को मात।

धूप कड़ी
हालात में झुलसे
जब ये मन
हाथ छुड़ालें 
अपने भी जब ! 
बन जाएँ  मरहम-
नेह-बूँदें छलकाएँ,
छाले सहलाएँ,
आओ! जीवन भर बरसाएँ 
प्यार अपार !
हो ऐसी अपनी दोस्ती- 
कि बने मिसाल !
थमे न कभी 
ये प्यार और विश्वास की 
शीतल बरसात !!!
-0-