पथ के साथी

Friday, November 21, 2014

जन्मों का अलगाव



क्षणिकाएँ
ज्योत्स्ना प्रदीप
1-घाव एक शब्द का
    
हमारे अपने ही...
एक शब्द से भी,
घाव दे जाते है।
उन्हे पता भी नहीं ,
वो जन्मों का अलगाव दे जाते है।
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2-  न्त

नागफनी..
काँटों से भरी ...पर सीधी,
उसे छूने से हर कोई कतराता है।
वो छुई -मुई....
हया से सिमटी,
तभी तो ,जो चाहे उसे
यूँ ही छू जाता है।
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3- संवेदना

काँटों में भ़ी है संवेदना
छू न लेना ,
रक्त बहा देंगे।
आता है इन्हें भी ...
तेरा जिस्म भेदना।
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