हाइकु मुक्तक-रामेश्वर
काम्बोज ‘हिमांशु’
1
यादों की गली /यदि
भूलकर भी /तुम आ जाते ।
इन्तज़ार में
/ मोड़ पर खड़े थे / हमें पा जाते ॥
करें क्या हम
/क़िस्मत में लिखा जो / मिटता नहीं ।
कसक यही / दो पल को ही
सही / तुम्हें पा जाते ॥
2
अपना तन । अपना मन
सब / तुमने जाना ।
इसके आगे / होती इक
दुनिया /न पहचाना ॥
हँसता देख / किसी को
पलभर /तुम तो रोए ।
उम्र बिता दी / स्वार्थ
को ही तुमने / जीवन माना ॥
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