पथ के साथी

Thursday, August 10, 2023

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1-रश्मि शर्मा

 


बारिश ( एक )

 

केले के उन हरे सघन पत्तों पर

अनवरत बरसती बूँदों का राग है

हर बरस इस मौसम में बस एक ही बात सोचती हूँ-

क्या कोई होगा, जो मेरी तरह यूँ ही

बारिश को महसूस करता होगा...

 

क्या उसके अंदर भी

जंगल में बारिश देखने की चाह उगती होगी

क्या मेरी तरह व भी छत पर भीगता होगा

 

कितने तो ख्याल हैं

बारिश से बदलती धरा के अनगिनत रंग और

माटी से उठती सोंधी गंध है

 

ये कैसी अनजानी-सी पीड़ा है

कि पहाड़ पर बारिश से बजती टीन की छत भी जैसे

किसी अनदेखे को पुकारती लगती है

 

मेरे लिए कोई है क्या इस दुनिया में

जो यूँ बारिश को आत्मा से महसूस करता होगा।

 

बारिश ( दो)

 

चित्र-स्वाति बरनवाल

उस बारिश से इस बारिश तक

न जाने कितनी बरसातें गुजर गईं

यह हमारे साझे का मौसम है

 

हवा, बादल, मोगरे, रातरानी

सब तो हैं,

टूटकर बरसता है आसमान भी

पर भीगता नहीं मन

हवाओं में घुली खुशबू नहीं आती इन दि‍नों मुझ तक

 

तुम थे, तो कितनी सुंदर लगती थी दुनिया

बारिश बजती थी कानों में

संगीत की तरह

और पहाड़ों से बादलों को लिपटते देख

नहीं थकती थीं आँखें

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यह एक शांत सुबह है

अभी -अभी थमी है बारिश

हवाओं में ठंडक घुली है

और मैं उसी जगह बैठी हूँहाँ पहली बार

बारिश में भीगे थे हम साथ-साथ।

-0-

1

2-विभा रश्मि 

 

1-तितलियाँ

तितलियों के जहाँ में 

चलो मेरे साथ 

कितनी आज़ाद  ख़्यालात ,

कोई  बंधन-पूर्वाग्रह  नहीं ।

बस पुष्पों से सजी फुलवारी 

र मँडराने के लिए 

क्यारियाँ, पत्रावली , सुगंध  ,

कोमल कच्ची शाखाएँ 

साथी सहेलियों का हाथ 

और कौतूहल- भरे बालक के नेत्र 

बेसाख्ता लहराता प्यार 

2-सूरज

 

रोक नहीं पाओगे 

प्रदीप्त सूरज को 

जो जगत को ऊर्जावान 

बनाता रहा है, वो -

सफ़र पर है सदियों से 

उसे किसी मशीन - संविधान 

नियम, स्वार्थपरक संबंधों के - 

छद्म जाल में नहीं फँसा सकोगे ।

इससे इतर 

बच निकलेगा अपने तेज -

सद्भाव और सद्गुण लेकर ।

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