सीमा स्मृति
उडेल सको अपनी थकान,मुस्कान
चिढ़ और गुस्सा
चिल्लाया जा सके
झल्लाया जा सके
शब्द बोझ न हो
जहाँ सोच पर बंधन न हो
दर्द को दर्द की ही तरह बाँटा जा सके
खुशी को जिया जा सके
प्रश्नों के तीर न हों
डर न हो रिश्ते की टूटन का
भय न हो खो देने का
छूट हो कुछ भी कहने की-
चिढ़ और गुस्सा
चिल्लाया जा सके
झल्लाया जा सके
शब्द बोझ न हो
जहाँ सोच पर बंधन न हो
दर्द को दर्द की ही तरह बाँटा जा सके
खुशी को जिया जा सके
प्रश्नों के तीर न हों
डर न हो रिश्ते की टूटन का
भय न हो खो देने का
छूट हो कुछ भी कहने की-
मन में जो भी धमक दे
जहाँ लम्हें शर्तो पर न जिए जाएँ
माँगे हो,
जहाँ लम्हें शर्तो पर न जिए जाएँ
माँगे हो,
न पूरी होने पर, अनजाना डर न हो
आदर सम्मान केवल शब्दों की चाशनी में लिपटे न हों,
रिश्ता बन सके ,आईना जिन्दगी का
पाना चाहता है हर शख़्स यह खूबसूरत रिश्ता
दे पाना, यह खूबसूरती
आदर सम्मान केवल शब्दों की चाशनी में लिपटे न हों,
रिश्ता बन सके ,आईना जिन्दगी का
पाना चाहता है हर शख़्स यह खूबसूरत रिश्ता
दे पाना, यह खूबसूरती
आज भी है, प्रश्नों की सलीब पर ।