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डॉ हरदीप सन्धु
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डॉ ज्योत्स्ना |
1.
सुहानी भोर
सागर की लहरें
मचाएँ शोर ।
2.
भोर की बेला
चीं -चीं गाए चिड़िया
मन अकेला ।
3.
भोर किरण
मंद पवन ।
4.
हँसा सवेरा
खिड़की से झाँकती
स्वर्ण रश्मियाँ ।
5.
धीमी पवन
पँखुरी भरे आहें
खुशबू
मन ।
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