skip to main |
skip to sidebar
डॉ हरदीप सन्धु
![](//1.bp.blogspot.com/-XfKN9P7kMUc/UXPqf1v58HI/AAAAAAAADSE/ffypsxcXERE/s200/suhani+bhor.JPG) |
डॉ ज्योत्स्ना |
1.
सुहानी भोर
सागर की लहरें
मचाएँ शोर ।
2.
भोर की बेला
चीं -चीं गाए चिड़िया
मन अकेला ।
3.
भोर किरण
मंद पवन ।
4.
हँसा सवेरा
खिड़की से झाँकती
स्वर्ण रश्मियाँ ।
5.
धीमी पवन
पँखुरी भरे आहें
खुशबू
मन ।
-0-