पथ के साथी

Sunday, April 21, 2013

सिन्दूरी आसमान


डॉ हरदीप सन्धु 
डॉ ज्योत्स्ना
1.
सुहानी भोर 
सागर की लहरें 
मचाएँ शोर 
2.
भोर की बेला 
चीं -चीं गाए चिड़िया 
मन अकेला 
3.
भोर किरण 
सिन्दूरी आसमान 
मंद पवन 
4.
हँसा सवेरा 
खिड़की से झाँकती 
स्वर्ण रश्मियाँ । 
5.
धीमी पवन 
पँखुरी भरे आहें 
खुशबू मन 
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