पथ के साथी
Sunday, January 29, 2012
मन की चोट
-रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
मन की चोट नहीं भर पाती
मिलना तो होता दो पल का
बिछुड़ें ,यादें रोज़ रुलाती।
मज़बूरी- दूरी दोनों में
युगों-युगों तक का नाता है
दोनों ने मिलकर बाँधा जो
मोहपाश टूट न पाता है ।
जब दिन -रात बिछुड़ जाते हैं
हर आँख सभी की भर आती ।
तन की चोट भरे कुछ दिन में
मन की चोट नहीं भर पाती ।
Thursday, January 26, 2012
कल्पना या यथार्थ
सीमा स्मृति
उडेल सको अपनी थकान,मुस्कान
चिढ़ और गुस्सा
चिल्लाया जा सके
झल्लाया जा सके
शब्द बोझ न हो
जहाँ सोच पर बंधन न हो
दर्द को दर्द की ही तरह बाँटा जा सके
खुशी को जिया जा सके
प्रश्नों के तीर न हों
डर न हो रिश्ते की टूटन का
भय न हो खो देने का
छूट हो कुछ भी कहने की-
चिढ़ और गुस्सा
चिल्लाया जा सके
झल्लाया जा सके
शब्द बोझ न हो
जहाँ सोच पर बंधन न हो
दर्द को दर्द की ही तरह बाँटा जा सके
खुशी को जिया जा सके
प्रश्नों के तीर न हों
डर न हो रिश्ते की टूटन का
भय न हो खो देने का
छूट हो कुछ भी कहने की-
मन में जो भी धमक दे
जहाँ लम्हें शर्तो पर न जिए जाएँ
माँगे हो,
जहाँ लम्हें शर्तो पर न जिए जाएँ
माँगे हो,
न पूरी होने पर, अनजाना डर न हो
आदर सम्मान केवल शब्दों की चाशनी में लिपटे न हों,
रिश्ता बन सके ,आईना जिन्दगी का
पाना चाहता है हर शख़्स यह खूबसूरत रिश्ता
दे पाना, यह खूबसूरती
आदर सम्मान केवल शब्दों की चाशनी में लिपटे न हों,
रिश्ता बन सके ,आईना जिन्दगी का
पाना चाहता है हर शख़्स यह खूबसूरत रिश्ता
दे पाना, यह खूबसूरती
आज भी है, प्रश्नों की सलीब पर ।
Tuesday, January 17, 2012
Saturday, January 7, 2012
उन्हें पा गए
रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
जब ज़िन्दगी थी, तब प्याला न था ।
जब साँसें मिलीं तब हाला न था ।
साँझ अब जीवन की चली आई,
देखा कि संग में उजाला न था ।
तभी कुछ पुराने मीत आ गए ।
साँस जितनी बची , हमें भा गए ।
दो पल की खुशियाँ बनी ज़िन्दगी
आज मोड़ पर जब उन्हें पा गए ।
Wednesday, January 4, 2012
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