पथ के साथी

Friday, June 16, 2017

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1-माटी का घट
-कमला निखुर्पा
1
माटी का संसार है ,खेल सके तो खेल।
बाजी रब के हाथ है,कर ले सबसे मेल ।
2
यह घट काचा ही रहा,तपा न दुख की आँच।
परहित में  जो घट तपे,नित पाए सुख साँच।
-0-
2-बूँद और बादल 
-डॉ ज्योत्स्ना शर्मा
1
हुआ बिछोड़ा बूँद से ,बादल बड़ा उदास ,
बिन तेरे मैं क्या सखी , अब क्या मेरे पास
2
जग नश्वर ,मिटना बदा ,कभी न मिटता प्यार ।

बरसूँ बनकर मैं ख़ुशी तुम लो दुआ अपार !