1-माटी का घट
-कमला निखुर्पा
1
माटी का
संसार है ,खेल सके तो खेल।
बाजी रब के
हाथ है,कर ले सबसे मेल ।
2
यह घट काचा
ही रहा,तपा न दुख की आँच।
परहित
में जो घट तपे,नित पाए सुख साँच।
-0-
2-बूँद और बादल
-डॉ ज्योत्स्ना शर्मा
1
हुआ बिछोड़ा बूँद से ,बादल बड़ा उदास ,
बिन तेरे मैं क्या सखी , अब
क्या मेरे पास ।
2
जग नश्वर ,मिटना बदा ,कभी न मिटता प्यार ।
बरसूँ बनकर मैं ख़ुशी तुम लो दुआ अपार
!