पथ के साथी

Showing posts with label प्रदीप. Show all posts
Showing posts with label प्रदीप. Show all posts

Saturday, January 27, 2018

794


1- कुण्डलिया
ज्योत्स्ना प्रदीप

सरहद के उस पार पर ,बड़ा अजब है फाग ।
होली खेले रात दिन ,मन में लेकर आग।।
मन में लेकर आग ,बहा रंग अनूठे।
छ्लनी बैरी-देह, वतन की खुशियाँ लूटे ।।
विजय घोष के संग ,मात का दिल है गदगद।
लिखती है नव गीत ,हमारी प्यारी 'सरहद' ।।
-0-
2-हरियाणा साहित्य अकादमी-परिष्कार  कार्यशाला के विद्यार्थी
1-पूनम
1
दरमियाँ सब ही दिलों के, फ़ासले से है कई,
सत्य है सदियों पुराना, बात ना कोई नई,
प्रश्न है अब एकता का, और ना कोई भी जवाब,
माँगता है वक्त हमसे, गुज़रे लम्हों का हिसाब।

था कभी ऐसा ज़मी पर, धर्म था ना जात थी,
प्रेम ही था एक नारा, साथ की ही बात थी,
प्रेम ही इक मूल था, ना विद्वत्ता का था नकाब
माँगता है वक्त हमसे.....

टूटती- सी जा रही, विश्वास की अब हर कड़ी,
बढ़ रहा है भेद ही, अब इस ज़मी पर हर घड़ी,
ना रही इंसान में, इंसानियत की कोई आब
माँगता है वक्त हमसे.....

चाहतों की भीड़ में ही, छिप गई खामोशियाँ,
जिस्म में ही दब गई है, रूह की अब सिसकियाँ,
बह रहा तन्हाइयों का, अब यहाँ रग में सैलाब,
माँगता है वक्त हमसे.....

हम चले जो खुद को फिर, वक्त भी दोहराएगा,
मोतियों की माल सा, राष्ट्र ये बंध जाएगा
नहीं रहेगा धड़कनों पे, दासता का अब हिजाब
माँगता है वक्त हमसे.....

-0-648/2 दयाल सिंह कॉलोनी, नज़दीक अलमारी फैक्टरी, सिसाय रोड़, हांसी- 125033-0-
-0-
2-माहिया-राहुल लोहट
1
माला क्यों जपता है
मन्दिर ना मालिक
वो तन में बसता है।
2
महफिल खिल जाएगी
चलकर तो देखो
मंजिल मिल जाएगी।
3
ना धन ना माया में
सुख बस मिलता है
अपनों की छाया में।
4
वो बात निराली है
अपने बचपन की
सौगात निराली है।
5
अब सुख की बारी है
हिम्मत के आगे
हर मुश्किल हारी है।
6
दु:ख सुख में ढलता है
रात अगर है तो
दीपक भी जलता है।
7
भँवरे जैसे जीना
खींच रिवाजों से
मानवता रस पीना।
8
तुम मान कहो इनको
बेटी है बेटी
मत दान कहो इनको।
9
खुशबू में खोया हूँ
धरती माता के
कदमों में सोया हूँ।
10
माटी ये चन्दन है
मेरी धरती माँ
चरणों में वन्दन है।
-0- राहुल लोहट
गांव -खरड़वाल,तहसील-नरवाना ,जिला -जीन्द
Email--wrrahulkumar@gmail.com