डॉ.सुधा गुप्ता
1-सिसकी
बहुत
देर रो-रोकर सिसकी
हलकान
हो-होकर
सो
जाए कोई बच्चा काँधे लगकर
तो
नींद
में जैसे बार-बार
उसे सिसकी आती है
ऐसे
मुझे
तेरी याद आती है
बहुत
देर रो-रोकर
हलकान
हो-होकर ।
-0-
2-प्यास
एक दिन भी
अपनी
मर्ज़ी का न जिया
एक
मैं ही रही प्यासी
और
सबने
भर-भर
प्याला
छककर
पिया।
होगा
किसी मुट्ठी में चाँद
किसी
में सूरज,
मैंने
तो
साँस-साँस
बस
ज़िन्दगी
का कर्ज़
चुकता
किया।
एक
दिन भी
अपनी
मर्ज़ी का न जिया।
-0-
3-लड़ाई
शीशे
पर
आती
है गौरैया
बार-बार
मारती
है चोंच
एक
बार-दस बार-सौ बार
हज़ार
बार ।
ख़ुद
पर करती प्रहार-
ख़ुद
से होती घायल गौरैया
अक्सर
हमारी सारी ज़िन्दगी
खुद
से लड़ते , चोट खाते बीतती है।
-0-
4-अँधेरी
सुरंग
कितने
दिन हुए
तुमसे
बिछुड़े
कितने
हफ़्ते-महीने -बरस ?
सोचती
हूँ
पर
कुछ याद नहीं आता ।
एक
अँधेरी सुरंग से गुज़र रही हूँ
जाने
कब से !
गुज़रूँगी
जाने
कब तक !!
कहीं
रोशनी
की एऽऽऽक लकीर नहीं !
-0-
(एक
क़ाफ़िला : नन्ही नौकाओं का ( काव्य-संग्रह,मई 1983)