पथ के साथी

Friday, September 11, 2015

रोज़ दुआएँ माँगती



1-डॉ ज्योत्स्ना शर्मा
1
तीखे-कड़वे बोल का ,गहरा था आघात ।
मरहम- सा सुख दे गई,तेरी मीठी बात ।।
2
रिश्तों ने विश्वास का ,छोड़ दिया जब साथ ।
ख़ुशियाँ चम्पत हो गईं,पकड़ प्रेम का हाथ ।।
3
रोज़ दुआएँ माँगती,माँ तुलसी के पास ।
दर्द भरा देना नहीं ,बच्चों को अहसास ।।
4
सुखमय हों दिन-रैन सब,मिले सुयश ,मन प्रीत
मधुर-मधुर बजता रहे ,जीवन का संगीत  
5
दर्प तमस का तोड़कर,आया नया विहान ।
सूरज ने फिर बाँट दी,कलियों में मुसकान॥
6
नयन दिखे नाराज़ से,हुई नयन से बात।
पिघल गया मन मेघ सा ,खूब हुई बरसात ।।
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2-अनिता ललित
1
प्रेम खड़ा बाज़ार में , भूला अपनी बाट।
रिश्तों में दीमक लगी, बैठी सब कुछ चाट।।
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3-हरकीरत हीर
1
ना मैं पानी माँगती,ना माँगूँ कुछ और ।
प्यास इश्क़ की है लगी, दिल का दे दे ठौर ॥
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4-कमल कपूर
1
दोहे पढ़े कबीर के,उपजा अति सम्मान ।
आखर आखर रस बसा ,बनी शहद की खान ।
2
खारे सागर से कभी, नहीं बुझेगी प्यास।
पीना मीठा नीर तो,चलो नदी के पास ।।
3
सूरज जी माली बने,बो रहे रश्मि बीज।
धूप सयानी खाद बन,देती जीवन सींच।।
4
भाई -भाई के बीच,बने नहीं दीवार।
चूल्हा चौंका एक हो ,न अलगाव की मार।।
5
बेटी बाबुल वास्ते,बने कभी ना भार।
पढ़- लिख खुद निर्भर बने,खोजे ना आधार।।
6
रिश्तों की गगर से यूँ,बहा नेह का नीर।
खाली गगरी रह गई,करती शोर गंभीर।।
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5-प्रियंका गुप्ता
1
हाथ हाथ से जो मिले, बन जाती है डोर
मन से जब-जब मन जुड़े , खींचे अपनी ओर ।।
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6-गुंजन अग्रवाल
1
दिन-प्रतिदिन चुभने लगा, अब तो हर सम्बन्ध।
हुई प्रदूषित जब हवा, टूट रहे सब बन्ध।।
2
झटपट किरणें आ गिरीं, सुप्त धरा की गोद।
कसमसाती रात गई, वन उपवन में मोद।।
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7-अनिता मण्डा
1
पतझड़ का मौसम गया,झड़े न दुख के पात।
ऐसा कोई ना मिला,कर लें मन की बात।।
2
खुशियों के मोती चुगें, हंस रहेंगे पास।
सबके मन पुलकित रहें, हो न कोई उदास।।
3
बेटी बिन सूना हुआ, मिटता रहा समाज।
मरे न बेटी कोख में,सुन लो तुम सब आज।।
4
कलियों का मन खिल गया,पा भँवरों का साथ।
दें संदेशे प्रेम के,महक हवा के साथ।।
6
ना पाया कुछ भी यहाँ,सागर रहा लजाय।
नीर नदी से जो मिला ,बादल चला उड़ाय।।
7
जुगनू चमके तब तलक, जब तक भरे उड़ान।
छूना है आकाश को, मन में तुम लो ठान।।
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