![](file:///C:/DOCUME~1/RD4134~1.KAM/LOCALS~1/Temp/msohtmlclip1/01/clip_image001.jpg)
![](file:///C:/DOCUME~1/RD4134~1.KAM/LOCALS~1/Temp/msohtmlclip1/01/clip_image001.jpg)
![](file:///C:/DOCUME~1/RD4134~1.KAM/LOCALS~1/Temp/msohtmlclip1/01/clip_image001.jpg)
क्या हुआ 'गर काम -काज में उलझे
जब भी यह दिन डाले फेरा
महक उठे घर -आँगन तेरा
कोई तो जन्म दिन मनाए मेरा
जी तो चाहता ही होगा आज तेरा
आओ मिलकर हम आज सारे
बिन मोमबत्तियों को फूंक मारे
बिन केक और बिन गुब्बारे
मिल बैठकर कुछ बात चलाएँ
और आपका जन्म दिन मनाएँ !
मिल बैठकर कुछ बात चलाएँ
और आपका जन्म दिन मनाएँ !
हरदीप कौर सन्धु (बरनाला)