पथ के साथी

Wednesday, June 24, 2015

पहाड़ों का दर्द



1-पहाड़ों का दर्द
                सुनीता शर्मा
       
              
महत्वाकांक्षी मानव के अहंकार देख

     बदहाल पहाड़ अब रोता ही नहीं
बारिश भी उसका अंतर्मन भिगो नहीं पाती ,
औ उसके फेफड़ों में जमने लगी दर्द की झील ,
जो कालांतर में कहर बरपाएगी जरूर ,
चूँकि तुम्हारा जीवित होना ही उसकी मृत्यु है ,
                तो इन दरकते पहाड़ों की मृत संवेदनाओं ने ,
                वेदनाओं में जीना सीख लिया है शायद ,
                ममता के आँगन पहाड़ पर हे मानव !
                खनन में मगन तूने अपने अस्तित्व को
                अंतहीन खतरे में डाल ही दिया है,
                पूर्वजों के पूजे-सँवारे पहाड़ों की सम्पदा बेचकर
                तेरा जीवन मद की भेंट चढ़ ही जाएगा ,
                और कालांतर में बाढ़ का उग्र वेग
                बहा ले जाएगा तेरे वीभत्स अरमानो को ,
                तेरे अहंकार की बढ़ती मीनारों को ,
                तब हे मानव ! तेरा अस्तित्व !
                अँजुली भर मीठे पानी को तरसेगा ,
                क्योंकि अभी नदी तेरे लिए नाला भर है ,
                जिसमें तू बहाता अपने तन-मन के अवसादों को ,
                उन जहरीली नदियों में जीवन का आधार ढूँढ लेना तुम ,
                वृक्ष रहित बंजर पर्वत पर कैक्टस के उपवन उगा लेना तुम !
                                               -0-
                
2 - केदारनाथ आपदा
       सुनीता शर्मा 

समय कहाँ कब
किसी के लिए ठहरता है ,
थम जाती हैं
यहाँ केवल साँसें ,
प्राकृतिक हों
या कृत्रिम ,
रूह की देह को
त्यागने की परंपरा ,
फिर ब्रह्मलीन हो जा जाना ,
हाँ शायद वेदनाओं की ,
पाषाणी धरती न हो ,
केदार घाटी की  भाँति जो ,
पत्थरों का शहर बन गया ,
प्यासी रूहें भटक रही है ,
अपनों की तलाश में ,
जीवन की आस में ,
जैसे हर पत्थर के नीचे
लिख दी गई हो
दम तोड़ती तड़पती
अनगिनत मार्मिक दास्तान ,
जिनका इतिहास भूगोल ,
जानने के लिए फिर
असंख्य बेरोजगारों को
रोजगार मिल ही जागा ,
क्योंकि आपदा का असर ,
लोगों के जेहन में
साल छह माह ही रहता है ,
फिर समय चक्र में सबको सब ,
भुलाने की विवशता ही तो है ,
पुराने दर्द पर मरहम बोझ लगने लगता है ,
हर पल नवीन हादसों का इंतज़ार करती ,
मानवता वक़्त के साथ ढलती जाती हैं ,
वेदनाओं के नए सफर के लिए ।
-0-