1-रामेश्वर
काम्बोज ‘हिमांशु’
1
आँसू के दरवाज़े , पीड़ा- भीगा आँगन ।
ऐसे मौसम में तो ,भीगेगा व्याकुल मन ।
2
खुशी कहाँ से लेकर आएँ
गीली आँखें जब-जब देखीं
घायल सारे सपने होते ।
3
पंछी की तो बात और है
नील गगन में उड़ता जाता
कोसों दूर बसे जो अपने
उनको दिल का
हाल सुनाता ।
हम दुनिया के पाश बँधे हैं
लाख विचारें छूट न पाएँ ।
आज़ादी तो एक बहाना
हिम्मत की पर टूट न पाएँ ।
हमदर्दी के बोल सुहाने
आज किसी को नहीं सुहाते
छ्ल-बल करने वालों को तुम
प्यार करो ,पत्थर बरसाते ।
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2-डॉ ज्योत्स्ना शर्मा
देता ही रहा
सागर तो जी भर
धूप ने जो तपाया
तो बादल बनाया
खूब बरसा धरा पर
और सींच आया-
नन्हें पौधे
,कली ,फूल ,
महका दिया जग सारा ,
हरा भरा परिधान
मन के मथे दे गया
रत्नों के ढेर
मोतियों -भरी सीपियाँ
लहरों की वीथियाँ
ज़रा न अघाया
जो डूबा, वो पाया !!!!
दिया अमृत
सबको तूने सारा
क्यों कहें खारा ?
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