सुभाष लखेड़ा
उसने सवाल किया -
क्या आपके यहाँ महिलाएं
सुरक्षित हैं ?
मैंने कहा - बिलकुल नहीं।
और वरिष्ठ नागरिक - उसने सवाल दागा।
मैंने कहा - वे भी सुरक्षित नहीं हैं।
उसने फिर पूछा - और बच्चे ?
जी, उनका तो आये दिन अपहरण होता है।
- मैंने कातर स्वर में कहा।
और आप ? उसने मुझसे पूछा।
मैंने दबी आवाज में बताया -
जी, मुझे भी एक पाखंडी के चेले
हफ्ते भर से धमका रहे हैं।
तो फिर आपके यहाँ कौन सुरक्षित है ?
उसने व्यंग्यात्मक लहजे में पूछा।
पहली बार मैंने उसकी आँखों में आँखें
डालते हुए ऊँची आवाज में कहा -
जी, हमारे यहाँ फैसले सुरक्षित रहते हैं।
-0-
मैंने कहा - बिलकुल नहीं।
और वरिष्ठ नागरिक - उसने सवाल दागा।
मैंने कहा - वे भी सुरक्षित नहीं हैं।
उसने फिर पूछा - और बच्चे ?
जी, उनका तो आये दिन अपहरण होता है।
- मैंने कातर स्वर में कहा।
और आप ? उसने मुझसे पूछा।
मैंने दबी आवाज में बताया -
जी, मुझे भी एक पाखंडी के चेले
हफ्ते भर से धमका रहे हैं।
तो फिर आपके यहाँ कौन सुरक्षित है ?
उसने व्यंग्यात्मक लहजे में पूछा।
पहली बार मैंने उसकी आँखों में आँखें
डालते हुए ऊँची आवाज में कहा -
जी, हमारे यहाँ फैसले सुरक्षित रहते हैं।
-0-