पथ के साथी

Saturday, April 18, 2020

972

1.प्रीति अग्रवाल
1.
ऐ दोस्त तेरे काँधे में कुछ ऐसी कशिश है
दिखते ही जी चाहे, मैं जी भर के रो लूँ!
2.
तुम तो ऐसे न थे, जो सताते मुझको
पर यादें तुम्हारी, बड़ी बैरी निकलीं!
3.
हमराज़ चुना है, हमने तुम्हीं को
ये राज़ किसी से कह तो न दोगे?
4.
गुमनामी से अभी तो यारी हुई थी
तुमने वो भी छीनी, मशहूर करके!
5.
आँखों में लाल डोरे, बोझिल- सा तन है
बीमार नहीं हूँ, बस रोने का मन है।
6.
ऐ टूटते तारे, तेरी खामोशी से याद आया
टूट था मेरा दिल भी, कुछ तेरी तरह ही!
7.
एक प्यार- भरा दिल, और वो भी टूटा हुआ,
अब गीत और ग़ज़लों के काफिले बढ़ेंगें!
8.
क़ुर्बानी सारी, औरत के हिस्से आईं
और शोहरत, 'कुर्बानी के बकरे' ने पाई!!
9.
खुद को समझा सुनार, और दाता को लुहार
अब देख! सौ सुनार की, सिर्फ एक लुहार की।
10.
आज़ादी पे कुछ दिन से पाबन्दी क्या लगी है
न चाहकर, परिंदों से, जलन हो रही है।
11.
बुझ चुकी थी आग, धुआँ तक नहीं था
अंगारे मनचले थे, सुलगने की ठानी!
12.
न जाने क्यों मंज़िल की परवाह नहीं है
हसीं है सफर, हम चले जा रहे हैं!
13.
ऐसा भी नहीं कि बिन तेरे, मर मिटेंगें
बस जीने की कोई खास, वजह न रहेगी।
14.
सोचती हूँ, बस हुआ, ये रूठना मनाना
मैं मना मना थकी, तुम रूठके न हारे।
15.
तू जानता है सब, फिर भी बुत बना खड़ा है
नाइंसाफ़ी करने वालों की, फिर ऐसी क्या ख़ता है
-०-
2-रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
1
दूर रहकर पास आने की उम्मीद में जिए
पास आए तो दूरियाँ और गहरी हो गईं।
2
हम क्या हैं, समझाने में उम्र गुज़र गई।
ना वे समझ पाए ,न हम ही समझा सके

-0-

हाइकु
1
प्यारा अम्बर
ये था इनका घर
हमने छीना।