1-खुशी पल की:रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
1
खुशी पल की
भटकी हुई बूँदे
ज्यों बादल की ।
2
आहट आई
आँगन में यादों की
दुबके पाँव ।
3
खुशियाँ न दो
ग़म पीछे छुपे हैं
यहाँ आने को ।
-0-
2-कुछ न माँगूँ :डॉ. हरदीप कौर सन्धु
1
कुछ न माँगूँ
बस पल दो पल
ख़ुशी के सिवा
बस पल दो पल
ख़ुशी के सिवा
2.
कभी ढूँढ़ती
यादों के आँगन में
ख़ुशी अपनी
यादों के आँगन में
ख़ुशी अपनी
3
बिन बुलाए,
ये गम पता नहीं
क्यों चले आए !
ये गम पता नहीं
क्यों चले आए !
-0-