ज्योत्स्ना प्रदीप
1-पिता
1
तुम्हारे नेत्र
आँसुओं के लिए दो
वर्जित क्षेत्र ।
2
तुम्हारे चक्षु
आशीर्वाद दें जैसे
सात्विक भिक्षु ।
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माँ
1
तेरे नयन
भरी भीड़ में करें
मेरा चयन ।
2
तुम्हारे नैन
बरसात की मानो
युगल रैन
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3-भाई
1
तेरे लोचन
हैं प्रहरी सजग
बैरी-सा जग !
2
तेरी निगाहें
देती सबके बीच
मौन सलाहें ।
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4-प्रियतम
1
तुम्हारी अक्षि
चुगे आँसू के मोती
बनके पक्षी ।
2
तुम्हारी आँखें
भावों -भरी उड़ान ,
युगल पाँखें ।
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5-प्रियतमा
1
रच गयी मन में
हँसती सृष्टि ।
2
सीमन्त रेखा
फैलाए अरुणिमा
तूने जो देखा ।
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6-बेटी
1
तेरी अँखियाँ
पर-पीड़ा को भरें
चुप से झरें ।
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7-बेटा
ये विलोचन
भावी सपनों के हैं
प्रवेश-द्वार ।
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चित्र:गूगल से साभार